विभिन्न ग्रहों की चालों को देखते हुए ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि अभी कोरोना में कभी कमी कभी गति का रुख देखने को मिलता रह सकता है. कोरोना का जीवन अभी 16 जुलाई 2021 तक चलता हुआ दिख रहा है. हां ये अलग बात है कि इस समय तक ये काफी कमजोर पड़ सकता है.
राशि के अनुसार ये करें उपाय:-
वहीं कोरोना को लेकर ज्योतिष के जानकारों की ओर से राशि के अनुसार मंत्र व उपाय भी बताए जा रहे हैं, ऐसे में कई लोगों का माना है कि इन मंत्रों का जाप व उपाय अपनाने से आप इस वायरस से खुद को सुरक्षित रखने में मदद ले सकते हैं. जो इस प्रकार हैं...
1. मेष राशि:- हमेसा खुस रहे. परोपकार करे, गरीबो का साथ दे, लाल रंग का रूमाल प्रयोग करें.
मंत्र : ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः’ भौमाय नमः’ का जाप करें.
2. वृष राशि:- शुक्रवार के दिन जरूरत मन्दो को दूध वाटे, तथा चावल का दान करे, शिव जी को पंचामृत से स्नान कराय मंदिर में ध्वजा दान के साथ ही अनैतिक संबंधों से दूर रहें.
मंत्र : ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः’ का जाप करें.
3. मिथुन राशि:- मूंग की दाल का दान करे, विशेष बुधवार के दिन, किसी जरूरत मंद की मद्त करे, यदि किसी जरूरत मन्द को दबा की जरूरत है, तो उसे अपने पैसों से दबा प्राप्त कराय,
मंत्र : ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ का जाप करें.
4. कर्क राशि:- सोमवार के दिन दूध जल चावल शिव जी को समर्पण करें, तीर्थस्थान की यात्रा करने से किसी को न रोकें.
मंत्र : ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः’ का जाप करें.
5. सिंह राशि:- सूर्य को अर्घ दे किसी मंदिर में मंदिर के पुजारी को लाल पुष्प दे, तथा मशहूर की दाल का दाल का दान जरूरत मन्द को पर्याप्त मात्रा में करे, किसी को धोका नही दे,
मंत्र : ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जाप करें,
6. कन्या राशि:- गणेश जी को बुधवार के दिन 108 नामो से दूर्वा चढ़ाए, तथा बुध का मंत्रों से जप करे,
मंत्र : ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ का जाप करें.
7. तुला राशि:- गुरुवार और शनिवार के दिन पीपल के पेङ के नीचे तेल, का दीपक जलाय, तवा, चिमटा, चकला और बेलन धर्मिक स्थान में दान दें.
मंत्र : ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः’ का जाप करें.
8. वृश्चिक राशि:- अपनी माँ या अपनी बहू को लाल साङी अवश्य दे, जरूरत मन्दो को भरपेट भोजन कराय,
मंत्र : ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ का जाप करें.
9. धनु राशि:- विष्णु भगवान का घर मे पूजन करे, किसी ब्राह्मण पत्नी या गुरु पत्नी या, प्रोहित पत्नी को श्रृंगार दान में दे, पूर्ण श्रृंगार ही दान में दे, गुरु मंत्र का जप करें गुरु से आशीर्वाद अवश्य ले,
मंत्र : ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः’ का जाप करें.
10. मकर राशि:- शनि मंदिर में दर्शन करें, या हनुमान जी को लड्डू चने का तुलसी पत्र डाल कर प्रसाद लगाय, भैंस, कौओं और मजदूरों को भोजन कराएं.
मंत्र : ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप करें.
11. कुम्भ राशि:- काल भैरव के दर्शन करें, दक्षिण दिशा वाले मकान का परित्याग करें. सोना धारण करने के साथ ही चांदी का टुकड़ा भी अपने पास रखें.
मंत्र : ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप करें.
12. मीन राशि:- गुरुवार के दिन केला नही खाय, केले के पेङ को हल्दी मिलाकर जल दे, हल्दी पानी से स्नान करें.
मंत्र : ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः’ का जाप करें .
सभी का बचाव:- इन मंत्रों का जाप करेगा आपकी मदद:-
ऐसे में कई इस महामारी से बचाव के लिए मंत्रों का सहारा लेने तक की सलाह दे रहे हैं. जिसके तहत बताया जा रहा है कि श्री दुर्गासप्तशती में महामारी व रोग नाश के लिए अलग अलग मंत्र दिए गए हैं. जिनके पाठ से इस महामारी पर काफी हद तक कंट्रोल किा जा सकता है.
ऐसे करें बचाव! ये मंत्र देंगे राहत...
श्री मार्कण्डेय पुराण में श्री दुर्गासप्तशती में किसी भी बीमारी या महामारी का उपाय देवी के स्तुति तथा मंत्र द्वारा बताया गया है जो कि अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं.
महामारी नाश के लिए:-
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी.
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते..
रोग नाश के लिए:-
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्.
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥
यह दोनों मंत्र अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं.
ये कर सकते हैं नकारात्मक ऊर्जा दूर...
कहीं भी आने वाली परेशानी के पीछे एक मुख्य कारण निगेटिव एनर्जी भी होती है. ऐसे में यदि आपको घर पर ही रहने का समय मिला है, तो आपको अपने घरों से नाकारात्मक उर्जा को बाहर कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाना चाहिए.
महामृत्युंजय मंत्र जाप करें:-
मंत्र : ॐ ह्रों जूं स: त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् भूर्भुवः: स्वरों जूं स: ह्रौं ॐ॥
मान्यता: किस समस्या में इस मंत्र का कितने बार करें जाप करें:-
- भय से छुटकारा पाने के लिए 11000 मंत्र का जप किया जाता है.
-रोगों से मुक्ति के लिए 33 हजार या 55 हजार या सबा लाख मंत्रों का जप किया जाता है.
-पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है.
- यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह साधना करें, या कराय तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है. यह जप संख्या यदि आप नही कर पा रहे, हो तो ब्राह्मणों के सहयोग से कराय,
पुराणों में भी हैं ये खास उपाय:-
आज हम आपको शास्त्रों में वर्णित कुछ ऐसे श्लोक और उनके अर्थ के बारे में बताने जा रहे है. इनके संबंध में माना जाता है कि इन्हें अपनाने से संक्रमण आपके पास तक नहीं फटकता…
1. न पहनें ऐसे वस्त्र
न अप्रक्षालितं पूर्वधृतं वसनं बिभृयात्.
विष्णुस्मृति के अनुसार व्यक्ति को एक बार पहना गया कपड़ा धोए बिना फिर से धारण नहीं करना चाहिए. कपड़ा एक बार पहनने पर वह वातावरण में मौजूद जीवाणु और विषाणु के संपर्क में आ जाता है और दोबारा बिना धोए पहनने लायक नहीं रह जाता है.
2. ऐसा में स्नान जरूर करें
चिताधूमसेवने सर्वे वर्णा: स्नानम् आचरेयु:.
वमने श्मश्रुकर्मणि कृते च
विष्णुस्मृति में यह भी कहा गया है कि अगर आप श्मशान से आ रहे हों या फिर आपको उल्टी हो चुकी हो या फिर दाढ़ी बनवाकर और बाल कटवाकर आ रहे हों तो आपको घर में आकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए, नहीं तो आपको संक्रमण का खतरा बना रहता है.
3. ऐसे कपड़ों से न पोंछें शरीर
अपमृज्यान्न च स्नातो गात्राण्यम्बरपाणिभि:.
मार्कण्डेय पुराण में लिखा है कि स्नान करने के बाद जरा भी गीले कपड़ों से तन को नहीं पोंछना चाहिए. ऐसा करने से त्वचा के संक्रमण की आशंका बनी रहती है. यानि किसी सूखे कपड़े (तौलिए) से ही शरीर को पोंछना चाहिए.
4. हाथ से परोसा गया खाना
लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च.
लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्.
धर्मसिन्धु के अनुसार नमक, घी, तेल या फिर कोई अन्य व्यंजन, पेय पदार्थ या फिर खाने का कोई भी सामान यदि हाथ से परोसा गया हो यानि उसको देते समय किसी अन्य वस्तु जैसे चम्मच आदि का प्रयोग न किया गया हो तो वह खाने योग्य नहीं रह जाता है. इसलिए कहा जाता है कि खाना परोसते समय चम्मच का प्रयोग जरूर करें.
5. यह कार्य मुंह और सिर को ढक कर ही करें
घ्राणास्ये वाससाच्छाद्य मलमूत्रं त्यजेत् बुध:.
नियम्य प्रयतो वाचं संवीताङ्गोऽवगुण्ठित:.
वाधूलस्मृति और मनुस्मृति में कहा गया है कि हमें हमेशा ही नाक, मुंह तथा सिर को ढ़ककर, मौन रहकर मल मूत्र का त्याग करना चाहिए. ऐसा करने पर हमारे ऊपर संक्रमण का खतरा नहीं रहता है.
किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से मई 2021 का मासिक राशिफल
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