जोधपुर. जोधपुर के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सा विभाग से जुड़े एक चिकित्साकर्मी का लालच इतना बढ़ गया कि उसने 'आपदा' के हालात को 'अवसर' समझ लिया. उसने मरीजों की सेवा की बजाय रुपये कमाने के लिए 50 रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी कर उन्हें ऊंची कीमत पर बेच डाला. मामले का खुलासा होने पर अब हड़कंप मचा हुआ है. आरोपी नर्सिंगकर्मी भरत बिश्नोई को एपीओ कर दिया गया है.
कोरोना काल में चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों को फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स का दर्जा देकर सरकार और समाज ने सम्मानित किया, लेकिन इनके बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए मानवता की कोई कीमत नहीं है. चिकित्सा विभाग के कुछ लालची लोगों ने अपनी करतूतों से इस पेशे से जुड़े कर्मठ और सेवाभावी लोगों को भी बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
जोधपुर में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मरीज जोधपुर संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े एमडीएम अस्पताल में दाखिल होते हैं. इस बात का फायदा उठाते हुए इस अस्पताल में कार्यरत नर्सिंगकर्मी भरत बिश्नोई ने फर्जी मरीजों का डेटा तैयार कर अस्पताल से 50 अतिरिक्त इंजेक्शन जारी करवा लिए. बाद में उन्हें बाजार में ऊंचे दामों में बेचकर चांदी कूट ली. प्रशासन को जब इस मामले की खबर लगी तो उसके होश उड़ गये. आनन-फानन में मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है.
नर्सिंगकर्मी भरत बिश्नोई के सहकर्मियों को जब इसकी जानकारी मिली तो पहले तो अस्पताल के कर्मचारियों में ही इसकी कानाफूसी चलती रही. उसके बाद कुछ जागरूक और सेवाभावी कर्मचारियों ने इस पूरे मामले को अस्पताल प्रशासन के सामने पहुंचाया. इससे अस्पताल प्रशासन हरकत में आया. अस्पताल प्रशासन ने नर्सिंगकर्मी भरत विश्नाई को एपीओ कर मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है. शुरुआती जांच रिपोर्ट में भरत विश्नोई का नाम ही सामने आया है. इसमें एक महिला नर्सिंगकर्मी की संलिप्तता भी बताई जा रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान: BJP विधायक गौतम लाल मीणा का निधन, कोरोना वायरस से थे संक्रमित
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