नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के कमजोर होने के बीच दो बड़ी फार्मा कंपनियों ने राज्यों को टीका देने से साफ मना कर दिया है. अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉर्डना ने कहा है कि वह टीके के मामले में राज्य सरकारों से बातचीत नहीं करेंगी.
इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि फाइजर हो या मॉडर्ना हम केंद्रीय स्तर पर समन्वय कर रहे हैं. फाइजर और मॉडर्ना दोनों के पास पहले ही ज्यादा ऑर्डर हैं. यह उनके सरप्लस पर निर्भर करेगा कि वह भारत को कितना टीका दे सकते हैं.
अग्रवाल की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत को वैक्सीन की सप्लाई के मुद्दे पर शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों और वैक्सीन निर्माताओं के साथ चर्चा करने के लिए सोमवार को अमेरिका पहुंचे.
रिपोर्ट के मुताबिक 3 फरवरी को डीसीजीआई ने फाइजर के मॉडर्ना वैक्सीन के लिए आपातकालीन उपयोग की सिफारिश करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी ने अपने कदम पीछे खींच लिए. कोरोना दूसरी लहर आने के बाद 13 अप्रैल को सरकार ने यू-टर्न लिया.
सरकार ने कहा था कि जिन टीकों को अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन और जापान ने मंजूरी दे दी है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लिस्टेड कर दिया है, उनके लिए फेज 2 और 3 के क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत नहीं होगी. अब लगभग डेढ़ महीना हो गया है, लेकिन अब तक फाइजर और मॉडर्ना जैसी फर्मों ने भारत के साथ कोई समझौता नहीं किया है.
रिपोर्ट में भारत को फाइजर या मॉडर्ना से कोविड रोधी वैक्सीन मिलने में देरी की आशंका जताई गई है, क्योंकि कई अन्य देश भारत से आगे हैं. अभी तक उन्हीं की डिलीवरी नहीं हो पाई है. दोनों अमेरिकी कंपनियां साल 2023 तक इन देशों में लाखों डोज देने का समझौता कर चुकी हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भारत से फरार पीएनबी घोटाले का आरोपी मेहुल चौकसी एंटीगुआ से हुआ लापता
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