नजरिया. चक्रवाती तूफान यास से पश्चिम बंगाल में हुए नुकसान को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की बैठक में सीएम ममता बनर्जी के देर से पहुंचने और फिर जल्दी निकल जाने को लेकर विवाद गहरा गया है, तो इस प्रकरण पर अनेक दिलचस्प कमेंट आ रहे हैं.
जहां बीजेपी की तरफ से ममता बनर्जी की आलोचना हो रही है, वहीं कई इस प्रकरण पर व्यंग्यबाण चला रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने इस प्रकरण पर ट्वीट किया- कथित तौर पर 30 मिनट के लिए इतना हंगामा क्यों मचा हुआ है? भारत के लोग 7 सालों से 15 लाख रुपये के लिए इंतजार कर रहे हैं, एटीएम के बाहर कई घंटों की लाइन लगाई गई थी, वैक्सीन के लिए कई महीनों तक इंतजार होे रहा है, थोड़ा आप भी वेट कर लीजिए कभी-कभी!
उल्लेखनीय है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने तूफान यास से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए शुक्रवार को पश्चिमी मेदिनीपुर के कलाईकुंडा में समीक्षा बैठक की थी, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और चीफ सेक्रेटरी समीक्षा बैठक में 30 मिनट देर से पहुंचे जबकि वे उसी परिसर में मौजूद थे.
खबरों की माने तो बैठक में आने के बाद ममता बनर्जी ने चक्रवात के असर से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए और यह कहते हुए बैठक से चली गईं कि उन्हें दूसरी मीटिंगों में हिस्सा लेना है.
इस घटनाक्रम को पीएम पद की गरिमा से जोड़ा गया, लेकिन सियासी सयानों का कहना है कि ऐसी सम्मानजनक परंपराओं की पालना स्वयं मोदी ही नहीं करते हैं.
नेहरू, राजीव गांधी जैसे दिवंगत प्रधानमंत्रियों के बारे में पीएम मोदी के विचार तो जगजाहिर हैं ही, ताजा- पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह के कोरोेना संकट को लेकर दिए गए सुझाव-पत्र पर पीएम मोदी की चर्चा तोे छोड़िए, प्र्तिक्रिया भी कम अमर्यादित नहीं थी!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पीएम मोदी ने चक्रवाती तूफान यास को लेकर सीनियर अधिकारियों के साथ की बैठक
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