डा. घनश्याम बादल. कोविड-19 वायरस से उत्पन्न जानलेवा बीमारी का कहर दूसरी लहर के रूप में लोगों के सामने है. एक भय का माहौल चारों तरफ हावी हो गया है . लोग नकारात्मक सोच से इस कदर ग्रस्त हो गए हैं कि यदि किसी को कोविड-19 के लक्षण नहीं हैं, न ही संक्रमण की कोई आशंका है और न ही परिवार या आसपास कोई इससे संक्रमित है तब भी मन के अंदर एक ऐसा भय बैठ गया है कि हर कोई विभिन्न उपचारों की प्रविधियां अपनाते हुए बहुत सारे इलाज स्वयमेव घर पर करने लगा है .
अपनी सुरक्षा की चिंता के चलते हुए व्यक्ति स्वयं के लिए कई प्रकार की औषधियां ले रहा है. इनमें देशी-विदेशी, एलोपैथी, होम्योपैथी,आयुर्वेद, यूनानी या फिर घरेलू दवाइयां शामिल हैं.
वह न केवल स्वयं ऐसा कर रहा है अपितु दूसरों को भी ऐसा करने की सलाह दे रहा है. व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर तो तरह-तरह के इलाजों की बाढ़ सी आई हुई है और एक बड़ा तबका बिना यह सोचे समझे कि किसी भी औषधि का साइड इफेक्ट क्या होगा, उस इलाज को अपना रहा है.
उदाहरण के लिए बाजार में अचानक प्याज की मांग बढ़ गई ,सेंधा नमक की मांग बढ़ गई क्योंकि यह प्रचारित किया जा रहा था कि सेंधा नमक और प्याज खाने से कोविड-19 के संक्रमण से सुरक्षा होती है और जो इससे संक्रमित हो भी गए हैं, इनका इस्तेमाल करने से तुरंत ठीक हो रहे हैं . कुछ लोगों ने फिटकरी का पानी पीने की सलाह मानी और नतीजा आंतों के कटने के रूप में सामने आया. अब फिटकरी एंटीबैक्टीरियल तो है पर वायरस पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है यह तो कोई विशेषज्ञ डॉक्टर ही बता सकता है मगर इसका भी प्रयोग लोगों ने किया.
भारतीयों के बारे में बहुत प्रचलित है कि हर भारतीय अपने आप में डॉक्टर है और वह दूसरों को सलाह देने में कतई कोताही नहीं बरतता है, हालांकि इसके पीछे अधिकतर दूसरों का भला करने की ही नीयत होती है मगर हो जाता बुरा है.
एक बात तो डब्ल्यूएचओ ने भी मानी है कि कोविड-19 का वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है, उसका म्यूटेशन बदल रहा है, उसकी प्रकृति बदल रही है और शरीर में घुसने के बाद उसकी विभिन्न अंगों को संक्रमित करके उन्हें खराब करने की प्रवृत्ति में भी निरंतर बदलाव आ रहा है, इसलिए बिना सोचे समझे योग्य डॉक्टर की सलाह लिए बगैर ली गई दवाई घातक भी सिद्ध हो सकती है.
एक और प्रवृत्ति घर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर रख कर स्वयं उपयोग करने यहां तक कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तक खरीद कर रख लेने की देखने में आई है . वैसे तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर काफी महंगा उपकरण है और इसे घर में लाकर रखना हर एक के बस की बात नहीं है लेकिन जब अपना कोई घातक बीमारी से संक्रमित हो, तब सब कुछ भूल कर परिवार के सदस्य किसी भी कीमत पर वह सब कुछ करते हैं जिससे उन्हें लगता है कि उन सदस्य का भला होगा. बहुत सारे लोगों ने ऑक्सीजन रिफिल सिलेंडर आने वाले संकट की आशंका से घर पर जमा करके रख लिए. बाजार से आक्सीमीटर,ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर जैसी बहुत साधारण सी मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी हुई चीजें इस तरह गायब हुई कि उनकी उपलब्धता ही बहुत कम हो गई और जो उपलब्ध भी हैं उनकी कीमतें आसमान छू रही हैं .
ठीक है, आप सक्षम हैं. आपको अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का पूरा अधिकार है लेकिन अनावश्यक रूप से जब दवाइयां एवं उपकरण घर में रख लिए जाते हैं तब यह उन लोगों को नहीं मिल पाते जिनको उनकी उस समय बहुत ज्यादा जरूरत होती है. परिणामतः ऐसे बहुत से रोगी जिन्हें आसानी से ऑक्सीजन देकर या दूसरी सुविधाएं देकर बचाया जा सकता है वे नहीं बचाए जा सके हैं और इस दूसरी लहर में मृत्यु दर का बहुत ऊंचा होना इस प्रवृत्ति के कारण भी हुआ है.
जहां तक कोविड-19 के खिलाफ एक युद्ध करने एवं जीतने का प्रश्न है तो उसका सबसे प्रभावशाली तरीका तो यह है कि कोविड-19 संक्रमण को हम अपने शरीर में घुसने ही न दें और वायरस को घुसने देने से रोकने के लिए कोविड-19 की जो एस ओ पी और गाइडलाइन जारी की गई है उसका पूरी तरह पालन करें. यदि लॉकडाउन या कोरोना कर्फ्यू लगा है तो बाहर न निकलें . मुंह पर मास्क लगाए रहें ,बार बार साबुन से हाथों को साफ करें, सेनेटाइज करते रहें. यदि घर के बाहर जाना अनिवार्य ही हो तो डबल मास्क लगाकर जाएं. कोई भी चीज घर के अंदर लाने से पहले उसे अच्छे से सैनिटाइज करें . घर से बाहर जाने के लिए जूते चप्पल आदि अलग रखें एवं उनको घर के अंदर न ले जाएं . बाहर से आने के बाद यथासंभव साबुन से स्नान करें कपड़ों को बदलें, उन्हें उन कपड़ों के साथ न मिलाएं जो दूसरे पारिवारिक सदस्यों के कपड़े हैं इतना करने से ही घर में वायरस के घुसने की आशंकाएं बहुत कम हो जाएंगी .
कहा जा रहा है कि यह संक्रमण सामुदायिक स्तर पर पहुंच गया है तथा इसके विषाणु हवा में भी हैं लेकिन जब आप बाहर ही नहीं जाएंगे, तब आपके इससे संक्रमित होने के अवसर भी कम हो जाएंगे . दूसरा हम अपने खानपान और रहन-सहन आदि को सकारात्मक रखें . अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाएं . ऐसे पदार्थों के सेवन से बचें जो हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं. उदाहरण के लिए डाइटिशियंस इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मैदे से बनी हुई चीजें यथासंभव न खाई जाए और इसके स्थान पर विटामिन सी विटामिन डी से युक्त प्रोटीन वाली चीजों का सेवन किया जाए. अब ऐसी चीजें कौन सी हो सकती हैं और उन्हें कितनी मात्रा में प्रयोग में लाया जाना चाहिए इसके लिए बेहतर होगा हम किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही अपना डाइट चार्ट तैयार करें एवं उसका पालन करें.
सकारात्मक चिंतन एवं खानपान से इस रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता हमारे काम आएगी . वहीं इससे भी अधिक काम आएगी हमारी प्रबल इच्छा शक्ति . अपने मन को कमजोर न होने दें, मन में निराशा की भावना न आने दें, अवसाद या फ्रस्ट्रेशन जैसी स्थिति से बचें . अपनी सोच को सकारात्मक रखें, यथासंभव ध्यान, योग आदि करते रहें आत्मविश्वास और तर्क के साथ यदि आप सोचेंगे तो सत्य यह भी है कि रोग भले ही व्यापक स्तर पर फैल रहा हो मगर इससे होने वाली मृत्यु की दर बहुत ऊंची नहीं है . तो क्यों न हम इस सोच के साथ रहें कि हम इस रोग को आसानी से हरा सकते हैं क्योंकि हारने न मानने की प्रवृत्ति भी आपको कोविड-19 के संक्रमण से बचाने में बहुत काम आएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कोरोना के दूसरी लहर के बीच बड़ी राहत! RBI ने इमरजेंसी हेल्थ सेवा के लिए 50,000 करोड़ रुपये दिए
मोदी सरकार का फैसला: 6 महीने बढ़ी कोरोना महामारी में लगाए गए हेल्थ वर्कर्स की बीमा योजना
गूगल ने डूडल बनाकर पब्लिक हेल्थ वर्कर्स और वैज्ञानिक शोधकर्ताओं को दिया धन्यवाद
IRDA ने जारी किये निर्देश: वर्तमान हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी में बदलाव नहीं कर सकेंगी बीमा कंपनिया
Leave a Reply