IRDA ने जारी किये निर्देश: वर्तमान हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी में बदलाव नहीं कर सकेंगी बीमा कंपनिया

IRDA ने जारी किये निर्देश: वर्तमान हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी में बदलाव नहीं कर सकेंगी बीमा कंपनिया

प्रेषित समय :08:39:29 AM / Fri, Mar 19th, 2021

नई दिल्ली.  भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को वर्तमान हेल्थ पॉलिसीज में ऐसा कोई बदलाव नहीं करने का निर्देश दिया है जिससे प्रीमियम बढ़ जाए. इरडा का यह निर्देश सिर्फ स्वास्थ्य बीमा के लिए ही नहीं लागू होगा बल्कि पर्सनल एक्सीडेंट और ट्रैवल इंश्योरेंस कवर के ऊपर भी लागू होगा.

एक सर्कुलर में इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियां वर्तमान प्रॉडक्ट्स में कोई ऐसा बदलाव नहीं कर सकती है, जिससे प्रीमियम बढ़े हालांकि उन्हें कुछ बदलाव करने की मंजूरी दी गई है. यह बदलाव पिछले साल जुलाई 2020 में जारी कंसॉलिडेटेड गाइडलाइंस ऑन प्रॉडक्ट फाइलिंग इन हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस के मुताबिक होना चाहिए.

बीमा नियामक द्वारा जारी सर्कुलर के मुताबिक वर्तमान पॉलिसी में नए बेनेफिट्स या अपग्रेडेशन स्टैंडएलोन प्रीमियम के साथ ऐड-ऑन कवर्स या ऑप्शनल कवर्स के रूप में ऑफर किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए पॉलिसीहोल्डर्स की मंजूरी लेनी आवश्यक है.

नियामक ने एप्वाइंटेड एक्चुरीज को एक वित्त वर्ष के अंत में प्रत्येक हेल्थ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट के फाइनेंसियल वॉयबेलिटी को रिव्यू करने को कहा है. इस रिव्यू रिपोर्ट को बीमा कंपनी के बोर्ड को सबमिट किया जाएगा.

इसके अलावा बोर्ड को हर एक प्रॉडक्ट से जुड़े अच्छे व बुरे अनुभवों की एनालिसिस को भी सबमिट करना होगा और पॉलिसीधारकों के हित में प्रॉडक्ट को बेहतर बनाने के लिए जरूरी सुधारों को लेकर (करेक्टिव एक्शन) सुझाव सबमिट करना होगा. यह स्टेटस रिपोर्ट हर वित्त वर्ष में 30 सितंबर तक बोर्ड के सुझाव व लिए जाने वाले करेक्टिव एक्शन के साथ अथॉरिटी के पास सबमिट करना होगा. वित्त वर्ष 2020-21 का स्टेटस रिपोर्ट 20 सितंबर 2021 तक सबमिट किया जाएगा.

बीमा नियामक ने कंपनियों को यह भी निर्देश दिया है कि पॉलिसी में आसान शब्दों का प्रयोग किया जाए ताकि पॉलिसीहोल्डर्स इसे आसानी से समझ सकें. इस साल 1 अक्टूबर से सभी इंश्योरर्स को स्पष्ट शीर्षक के साथ पॉलिसी कांट्रैक्ट्स का स्टैंडर्ड फॉर्मेट अपनाने का निर्देश दिया गया है. नियामक के निर्देशों के मुताबिक कांट्रैक्ट में पॉलिसी शेड्यूल, प्रस्तावना, परिभाषा, पॉलिसी के तहत मिलने वाले लाभ, एक्सक्लूजंस (क्या नहीं कवर होगा), आम शर्तें व प्रावधान को शामिल किया जाएगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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