नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार की कोरोना और ड्रग मैनेजमेंट को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज के लिए लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी दवा के डिस्ट्रीब्यूशन पर नीति बनाने और रोगियों की प्राथमिकता तय करने का निर्देश दिया ताकि कुछ लोगों की जान बचाई जा सके.
ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर एम्फोटेरिसिन-बी दवाई की भारी किल्लत को लेकर कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि, हमें इस बीमारी की जद में आए बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं को बचाने पर ध्यान देना होगा.
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि, अगर एक ही परिवार में 2 लोग बीमार हैं, एक की उम्र 80 और दूसरे की 35 साल है. दवाई की सिर्फ एक खुराक है तो हम किसे बचाने की कोशिश करेंगे. यह तय कर पाना बेहद मुश्किल है. कोर्ट ने कहा कि अगर हम इस परिस्थिति में किसी को चुनना चाहे तो हमें युवाओं को प्राथमिकता देनी होगी.
हालांकि, यह बेहद ही क्रूर निर्णय है, लेकिन युवाओं के ऊपर इस देश का भविष्य है. इसलिए उन्हें सबसे पहले बचाना जरूरी है. बेंच ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी, प्लेन एम्फोटेरिसिन-बी और पॉसकोनाजोल के उपयोग पर स्पष्ट दिशा-निर्देश लाने का आदेश दिया है.
80 साल के बुजुर्ग ने अपनी जिंदगी जी ली है
कोर्ट ने कहा कि 80 साल के बुजुर्ग ने अपनी जिंदगी जी ली है. वे इस देश को आगे नहीं ले जाने वाले हैं. इसलिए हमें युवाओं का चुनाव करना होगा. हम ये नहीं कह रहे हैं कि किसी का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है और किसी का कम. हर एक जिंदगी महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह फैसला करना होगा. कोर्ट ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि किसके बचने की संभावना ज्यादा है, उसी हिसाब से दवाओं का डिस्ट्रीब्यूशन करना होगा. हालांकि, यह तय कर पाना बहुत मुश्किल है कि दवाई की कमी के बीच किसे बचाया जाए या किसे मरने छोड़ दिया जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ब्लैक फंगस के इलाज में प्रयोग होने वाली दवा से इंपोर्ट ड्यूटी और टैक्स हटाये सरकार: दिल्ली हाईकोर्ट
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