नई दिल्ली. आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे दो दिवसीय दौरे पर कश्मीर पहुंचे आर्मी चीफ ने कहा कि सफल और सुरक्षित अमरनाथ यात्रा के लिए आर्मी द्वारा सभी तैयारियां कर ली गई हैं, लेकिन यात्रा पर अंतिम फैसला नागरिक प्रशासन द्वारा लिया जाएगा. भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को 100 दिन पूरे होने के अवसर आर्मी चीफ ने कहा, "फरवरी के अंत में पाकिस्तान के साथ सीजफायर को लेकर सहमति बनी थी. अभी भी सीजफायर जारी है और इसे बरकरार रखने का जिम्मा पाकिस्तान पर है. हम भी सीजफायर जारी रखना चाहते हैं, जब तक वे चाहते हैं."
हालांकि जनरल नरवणे यह भी कहा कि सीमा पार आतंकी ठिकाने और आतंकियों की उपस्थिति बदस्तूर जारी है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से अविश्वास की स्थिति है और ऐसी स्थिति में रातों रात बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती. आर्मी चीफ ने कहा, "अगर सीजफायर का अक्षरशः पालन किया जाता है और पाकिस्तान आतंकियों को बढ़ावा नहीं देता है. भारत में परेशानियों खड़ी नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति में छोटे-छोटे कदमों के जरिए दोनों देशों के बीच निश्चित तौर पर विश्वास बहाली हो सकती है."
उन्होंने कहा कि सीजफायर जारी है, लेकिन हमारी तरफ से अपनी तैयारियों में ढील नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा, "एलओसी के पार से किसी भी तरह की गतिविधियों से निपटने के लिए हमारी सीआई (काउंटर इन्सर्जेंसी) ग्रिड सक्रिय है. हमारे पास दुर्गम इलाकों में काउंटर टेररिज्म ग्रिड भी है और जवानों की तैनाती गतिशील है और परिस्थितियों के अनुसार खतरे को भांपते हुए एक्शन लेने को स्वतंत्र है."
आर्मी चीफ ने कहा कि जवानों की तैनाती को लेकर समय-समय पर समीक्षा होती है और अगर परिस्थितियां इजाजत देती हैं तो कुछ जवानों को सक्रिय तैनाती से हटाकर रियर इलाकों में तैनात किया जा सकता है. हालांकि सभी जवानों को एक साथ नहीं हटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि आर्मी की भूमिका हिंसा के स्तर को कम करने की है, ताकि नागरिक प्रशासन और स्थानीय सिक्योरिटी फोर्स जम्मू और कश्मीर के साथ क्षेत्र के विकास पर फोकस कर सके.जनरल नरवणे ने कहा, "हमारा अंतिम उद्देश्य हिंसा में कमी लाना है, ताकि शांति और विकास का माहौल स्थापित हो. मुझे सभी कमांडरों ने जमीनी हकीकत की जानकारी दी है. एलओसी हो या दुर्गम इलाके, सभी जगहों पर हालात सामान्य हैं. मुझे खुशी है कि सभी मानकों पर हालात सामान्य हो रहे हैं और इनमें तेजी से सुधार हुआ है. आतंकी घटनाओं के बहुत कम मामले सामने आए हैं. पत्थरबाजी का शायद ही कोई केस आया हो."
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