नई दिल्ली. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले सप्ताह दिल्ली में कांग्रेस कमेटी से कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य का उप मुख्यमंत्री या फिर प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने यह आश्वासन दिया है कि बेअदबी मामले में पुलिस फायरिंग को लेकर विधानसभा चुनाव से पहले ही कुछ महीनों के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
सूत्रों ने कहा कि सिंह अपने नेतृत्व में पार्टी को चुनाव में उतारने के लिए कमर कस रहे हैं और ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धू को डिप्टी सीएम या पीसीसी प्रमुख के रूप में पदोन्नत करने से राज्य इकाई में नेतृत्व समीकरण बिगाड़ सकते हैं. इस मामले के बारे में जानने वाले एक व्यक्ति ने सूत्रों को बताया कि सीएम ने कहा है कि सिद्धू कैबिनेट में फिर से शामिल हो सकते हैं और उनके लिए एक पद खाली है.
सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि सिद्धू को पीसीसी प्रमुख नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि पार्टी इकाई में कई अन्य वरिष्ठ नेता हैं जो उस पद के लिए पात्र हैं. साथ ही, दोनों पद सीएम और पीसीसी प्रमुख जाट सिखों के पास नहीं जा सकते. सिंह ने वास्तव में समिति की ओर इशारा किया कि सिद्धू हाल ही में अपनी सरकार के खिलाफ बयान देकर विद्रोह के रास्ते पर हैं.
सूत्रों ने यह भी कहा कि आलाकमान इस बात को नहीं भूली है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के चलते ही कांग्रेस पंजाब में चुनाव जीतती है और उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदशज़्न किया था. अन्य लोग जो समिति के सामने पेश हुए हैं उनमें से किसी ने भी सिद्धू के नाम को दोनों ही शीर्ष पदों के लिए आगे नहीं रखा.
लेकिन आलाकमान सिद्धू को एक सम्मानजनक स्थिति में बनाए रखने के इच्छुक हैं, शायद अभियान में एक प्रमुख भूमिका के साथ और वह नहीं चाहते थे कि वह आम आदमी पार्टी (आप) की ओर चले जाएं. एक अन्य सूत्र ने कहा कि यहां तक मुख्यमंत्री ने समिति को सिद्धू और प्रताप सिंह बाजवा जैसे नेताओं पर लगाम लगाने के लिए कहा था, जो पंजाब में विपक्षी दलों की तरह काम कर रहे थे, जबकि शिअद, आप और भाजपा किनारे हो गए थे.
2015 के बेअदबी और 2015 के पुलिस फायरिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे में कार्रवाई में देरी राज्य का एक बड़ा मुद्दा है कि और मुख्यमंत्री ने कमेटी को आश्वासन दिया है कि नई एसआईटी अपना काम कर रही है और इसके आधार पर आठ महीने में होने वाले पंजाब चुनाव के आने से पहले आगामी महीनों में इस पर एक्शन लिया जाएगा. मुख्यमंत्री से समिति को ये बताने के लिए कहा गया था कि उनकी सरकार घटनाओं की एसआईटी की पूर्व की जांच को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर भी विचार कर रही है.
समिति के सामने पेश होने वाले अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मामले में कार्रवाई में देरी एक बड़ी चिंता है और आगामी चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है, क्योंकि 2017 के पंजाब चुनावों में यह एक बड़ा चुनाव से पहले किया गया वादा था. एक सूत्र ने कहा कि हाई कोर्ट के दखल देने से पहले ज्यादातर जांच पूरी हो चुकी थी, क्योंकि बादल परिवार ने जांच की पूर्व-कल्पित धारणा पर सवाल उठाया था, क्योंकि पहले एसआईटी का एक पुलिस अधिकारी बहुत मुखर था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पंजाब में अमरिंदर सिंह पर आलाकमान ने जताया भरोसा, सिद्धू को बनाया जा सकता है कैबिनेट मंत्री
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