नई दिल्ली. चीन में हांगकांग के नजदीक ग्वांगडोंग प्रांत में स्थित ताइशान न्यूक्लियर प्लांट में रेडियो एक्टिव पदार्थ के लीक होने के बाद कुछ समय के लिए वहां पर अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया. इसकी जानकारी इस न्यूक्यिलर प्लांट के ज्वाइंट ऑपरेटर फ्रेंच मल्टीनेशनल इलेक्ट्रिक यूटिलिटी इलेक्ट्रिसिटी डे फ्रांस ने दी है.
इस कंपनी का कहना है कि फिलहाल प्लांट सुरक्षा के दायरे में ही है और काम कर रहा है. गौरतलब है कि इस प्लांट को चीन की कंपनी जनरल न्यूक्यिल पावर ग्रुप फ्रांस की कंपनी के साथ मिलकर ऑपरेट करता है. प्लांट में लीकेज की खबर आने के बाद प्लांट के डाटा की समीक्षा के लिए दोनों ही कंपनियों ने एक साझा बैठक भी की थी.
फ्रेमोटॉम से जारी एक बयान में कहा गया है कि कंपनी पर प्लांट की परफॉर्मेंस की जिम्मेदारी है. इसमें ये भी कहा गया है कि कंपनी के विशेषज्ञ हालात का जायजा लेने में लगे हुए हैं. वो इस बात को भी तलाश रहे हैं कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं हुई है. हांगकांग से करीब 135 किमी दूर स्थित इस प्लांट में रेडिएशन लेवल को फिलहाल सही पाया गया है. इसकी जानकारी हांगकांग ऑब्जर्वेटरी ने दी है, जिसके पास इसके आस पास के शहरों का रेडिएशन लेवल नापने की जिम्मेदारी है.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को फ्रेमोटॉम ने अमेरिकी ऊर्जा विभाग को रेडियोएक्टिव लीकेज के खतरे की चेतावनी दी थी. साथ ही उसने चीन पर आरोप लगाया था कि वो इस प्लांट के बाहर क्षमता से अधिक रेडियोएक्टिव पदार्थ बाहर डाला जा रहा है, जिससे इस प्लांट को बंद करने से रोका जा सके. स
रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि अमेरिकी अधिकारियों को लगता है कि मौजूदा हालातों में प्लांट की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है. फ्रांस की कंपनी ने अपने एक बयान में ये भी कहा है कि उसको बताया गया है कि रिएक्टर वन के पास कुछ बेहद दुर्लभ गैसों का लेवल लगातार बढ़ रहा है. कंपनी का ये भी कहना है कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर उसने चीन से इस बात की अपील की है कि फिलहाल इस प्लांट को होल्ड पर डाल देना चाहिए.
दूसरी तरफ इस प्लांट में लीकेज की खबर आने के बाद अमेरिका भी इसके अध्ययन में जुट गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेरिका ने इस लीकेज की रिपोर्ट का आकलन करने में पूरा एक सप्ताह लगाया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि फ्रांस की पावर कंपनी ने ही यहां पर रेडियोएक्टिव लीकेज की आशंका को देखते हुए खतरे की चेतावनी दी थी. इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में भी बैठकों का दौर चला है. इसकी वजह यही है कि इसको संचालित करने वाली दोनों ही कंपनियां अलग-अलग बात कह रही हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-धोखाधड़ी के लिए चीन में इस्तेमाल हो रहे थे भारतीय सिम कार्ड, एजेंसियां जांच में जुटीं
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