नजरिया. यूपी में अगले विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी प्रमुख दल सक्रिय हो गए हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बसपा अभी भी शांत है. इसका नतीजा यह है कि बसपा में दरारें नजर आने लगी हैं.
खबरों पर भरोसा करें तो बसपा के वर्तमान चार विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं, तो करीब आधा दर्जन विधायक सपा नेता अखिलेश यादव से भेंट कर चुके हैं.
दरअसल, पिछलेे लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा ने अपना सियासी दमखम दिखाया था, लेकिन कोेई बड़ी कामयाबी नहीं मिली. अब यदि मायावती बसपा में आ रही दरार को बंद करने में कामयाब नहीं रही, तो यूपी की तीसरी ताकत का ताज बसपा के पास नहीं रहेगा.
याद रहे, लंबे समय से यूपी में सपा, बसपा और बीजेपी का ही सियासी दबदबा रहा है. कुछ समय से कांग्रेस ने अपनी स्थिति मजबूत की है, तो आम आदमी पार्टी ने भी अपना विस्तार शुरू किया है, लेकिन इन्हें इस बार बहुत बड़ी कामयाबी मिल जाएगी, ऐसा लगता नहीं है.
यदि बसपा में बिखराव आता है, तो उसका फायदा सपा और बीजेपी, दोनों को होगा.
बसपा- सपा, कांग्रेस और बीजेपी के साथ जाने की स्थिति में नहीं है, लेेकिन उसे जल्दी ही कोई निर्णय लेकर सक्रिय होना होेगा, क्योेंकि मायावती की साइलेंट पॉलिटिक्स बसपा को भारी पड़ सकती है और इसके नतीजेे में बसपा की पुरानी सियासी साख पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-1. सपा की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि अब आएदिन मीडिया में बने रहने के लिए दूसरी पार्टी से निष्कासित व अपने क्षेत्र में प्रभावहीन हो चुके पूर्व विधायकों व छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं आदि तक को भी सपा मुखिया को उन्हें कई-कई बार खुद पार्टी में शामिल कराना पड़ रहा है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) June 17, 2021
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