नजरिया. तीसरे मोर्चे के कुछ अतिउत्साही नेता भले ही कांग्रेस के बगैर बीजेपी के खिलाफ कामयाबी का भरोसा रखते हों, लेकिन जमीनी सियासी हकीकत जानने वाले शरद पवार जैसे नेता जानतेे हैं कि कांग्रेस के बगैर कोई राष्ट्रीय महागठबंधन कामयाब नहीं हो सकता है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार की ओर से तैयार किया जा रहा राष्ट्रीय महागठबंधन क्या कांग्रेस के बगैर आगे बढ़ेगा?
खबर है कि इस सवाल के जवाब में शरद पवार का कहना है कि वह कांग्रेस को साथ लेकर चलेंगे. यदि कोई वैकल्पिक ताकत खड़ी की जाएगी तो कांग्रेस को साथ रखा जाएगा.
खबरों की मानेे तो शरद पवार ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राष्ट्र मंच की बैठक में गठबंधन पर चर्चा नहीं हुई है, लेकिन यदि वैकल्पिक ताकत खड़ी की जाएगी तो कांग्रेस को साथ रखकर ही ऐसा किया जाएगा. हमें इस तरह की ताकत की जरूरत है और मैंने इसे बैठक में भी कहा था.
दरअसल, सियासी सच्चाई यही है कि देश में 200 सेे ज्यादा ऐसी लोककसभा सीटें हैं, जहां मुख्य मुकाबले में कांग्रेस है और ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी का सीधा मुकाबला है और इन ज्यादातर सीटों पर तीसरे मोर्चे की कोई खास भूमिका नहीं हैै, मतलब- यदि जनता बीजेपी को विदा करती है, तो कांग्रेस ही सबसे ताकतवर बन कर उभरेगी, तीसरे मोर्चे का तो कोई भी दल पचास सीटों का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाएगा.
जाहिर है, कांग्रेस के बगैर तीसरे मोर्चे की कोई बहुत बड़ी भूमिका नहीं है. इस वक्त गैर-बीजेपी जो गठबंधन काम कर रहा है, उसका नेतृत्व कांग्रेस के हाथ में है तथा यह किसी और के हाथ में जाना संभव नहीं है, लिहाजा, तीसरे मोर्चे की सियासी हलचल को गैर-बीजेपी गठबंधन का नेतृत्व हासिल करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है.
देखना दिलचस्प होगा कि इसमें कितनी कामयाबी मिलती है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक के बाद बोले पीएम मोदी: कहा कम होगी दिल्ली और दिल की दूरी
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