श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में एयर फोर्स स्टेशन पर हुए हमले में इस्तेमाल किए गए ड्रोन्स में 2 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया गया था. शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि इस हमले में 2 ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया और हाई ग्रेड का विस्फोटक गिराया गया. एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि हमने बेस पर संतरी ने दो अलग-अलग आवाजें सुनीं और उसके बाद छह मिनट के अंतर पर दो विस्फोट हुए. घटनास्थल पर ड्रोन का कोई हिस्सा नहीं मिला, ऐसे में आशंका है कि ये ड्रोन विस्फोटक गिराकर वापस चले गए.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के बम डेटा सेंटर की एक-एक टीम ने वायुसेना अड्डे पर जांच की. वहीं जम्मू पुलिस ने आतंकवाद की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. एक अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच के अनुसार विस्फोटक कम से कम 100 मीटर की ऊंचाई से गिराया गया होगा. IED को इम्पैक्ट चार्ज से लैस किया गया था, जिसमें विस्फोट या तो तुरंत या कुछ देर बाद होता है. अधिकारी ने कहा हर ड्रोन पर विस्फोटक 2 किलो से अधिक था. विस्फोटक हाई ग्रेड के थे और ये आरडीएक्स हो सकते हैं लेकिन फॉरेंसिक जांच के बाद ही किसी फैसले पर पहुंचा जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि ड्रोन कहां से उड़े इसकी फिलहाल जांच की जा रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने कहा 'आशंका है कि ड्रोन्स पाकिस्तान से आए थे क्योंकि ऐसे ड्रोन पहले जम्मू में हथियार गिरा चुके हैं. सीमा से बेस की दूरी महज़ 14 किलोमीटर है. हालांकि इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह ड्रोन किसी स्थानीय जगह से ना उड़ा हो. दूसरी ओर एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 'ड्रोन्स अपना निशाना चूक गए क्योंकि इस हमले में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. ऐसा लग रहा है कि हमलावर यह दिखाने की कोशिश में थे कि वह भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर के खानमोह इलाके में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया
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