अभिमनोज. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आजादी के 75 साल बाद क्या राजद्रोह के कानून की जरूरत है?
खबर है कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह औपनिवेशिक कानून है और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट का एकदम सही सवाल है कि- इसे रद्द क्यों नहीं किया जा सकता है? जबकि, केन्द्र सरकार ने कई पुराने कानूनों को निरस्त कर दिया है, फिर सरकार राजद्रोह के अपराध से संबंधित आईपीसी की धारा 124 ए को निरस्त करने पर विचार क्यों नहीं कर रही है?
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि धारा 124-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करेगा.
यह भी कहा गया कि- हालात गंभीर हैं. अगर एक पक्ष को पसंद नहीं है कि दूसरा जो कह रहा है? तो, धारा 124-ए का इस्तेमाल किया जाता है, यह व्यक्तियों और पार्टियों के कामकाज के लिए एक गंभीर खतरा है.
उल्लेखनीय है कि यह लंबे समय से देखा जा रहा है कि कई कानूनों का और संस्थाओं का दुरुपयोग विपक्ष को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है, जो किसी भी प्रजातांत्रिक देश में सही नहीं ठहराया जा सकता है, इसलिए ऐसे तमाम कानूनों की समीक्षा करके इन्हें समाप्त करने की जरूरत है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए TC की जरूरत नहीं
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