बीजिंग. चीन में सरकार अरबपतियों को जबरन परोपकारी बना रही है. दबाव डाल कर उनसे दान या उपहार दिलवाए जा रहे हैं. इसके पीछे सरकार की मंशा देश में आर्थिक असमानता की खाई को पाटना है, क्योंकि देश में अरबपतियों की संख्या में बहुत तेजी से इजाफा हुआ है. देश में अमीरी और गरीबी की खाई को कम करने के उद्देश्य से सरकार ऐसा कर रही है. इस मामले में चीन ने दुनिया के सबसे ताकतवर और आर्थिक रूप समृद्ध देश अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है.
चीन में अरबपतियों को जबरन परोपकारी बनने का सिलसिला कुछ माह पहले शुरू हुआ है. खाद्य वितरण की दिग्गज कंपनी मीटुआन के अध्यक्ष और संस्थापक वांग जिंग ने वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शेयरों में लगभग 2.70 अरब डॉलर (201 अरब रुपये)का दान दिया. इसके अलावा ई-कॉमर्स के दिग्गज पिंडुओडुओ के संस्थापक कॉलिन हुआंग ने कंपनी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद एक शैक्षिक कोष में लगभग 1.85 अरब डॉलर (138 अरब रुपये)का दान दिया. इस साल की शुरुआत में मीडिया घरेलू उपकरणों के दिग्ग्ज केहे जियांगजियान और एवरग्रांडे रियल एस्टेट के जू जियान ने गरीबी उन्मूलन, चिकित्सा देखभाल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए क्रमशः 97 करोड़ डॉलर और 37 करोड़ डॉलर से अधिक का दान दिया. टिकटॉक (बाइटडांस) के संस्थापक झांग यिमिंग जैसे अरबपति ने फुजियान प्रांत में अपने गृहनगर लोंगयान को शिक्षा के लिए लगभग 7.70 करोड़ डॉलर(5.74 अरब रुपये) दिया.
विश्लेषकों का मानना है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और राजनीतिक पर मजबूत पकड़ रखने वाले आर्थिक असमानता को खतरे की घंटी के रूप में देख रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ व्याख्याता टॉम क्लिफ ने कहा कि मुझे लगता है कि आय में असमानता अभिजात वर्ग के लिए बड़ी चिंता है. उन्होंने कहा कि राजनेताओं को सबसे बड़ी चिंता आय में असमानता को लेकर है. शायद इस वजह से सरकार को इस तरह के कदम उठाने पड़ रहे हैं. क्लिफ ने चीन में व्यावसायिक अभिजात वर्ग का अध्ययन किया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूजीसी ने जारी किया शैक्षणिक कैलेंडर: अक्टूबर से शुरू होंगी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की क्लासेज
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