पेगासस फोन हैकिंग ने ईवीएम पर भी सवालिया निशान लगाया?

पेगासस फोन हैकिंग ने ईवीएम पर भी सवालिया निशान लगाया?

प्रेषित समय :21:37:33 PM / Tue, Jul 20th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. पेगासस फोन हैकिंग का मामला सामने आने के बाद यह सवाल भी जायज है कि क्या ईवीएम की हैकिंग भी संभव है?

खबर है कि पेगासस फोन हैकिंग के मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने दुनिया भर में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग को बेहद चिंताजनक करार देते हुए सरकारों से उनकी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने का आह्वान किया, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो.

खबरों पर भरोसा करें तो संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि एक वैश्विक मीडिया संघ की जांच से पता चला है कि इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट के हवाले से खबरोें में कहा गया है कि विभिन्न देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग के बारे में खुलासे बेहद चिंताजनक हैं, सरकारों को अपनी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगानी चाहिये, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो.

दिक्कत यह है कि कोई भी नई तकनीक जब आती है, तो उसके दुरूपयोग के रास्ते भी खुल जाते हैं और ये रास्ते जब तक एक्सपोज होते हैं, तब तक इसका दुरूपयोग करने वाले खिलाड़ी लंबा खेल कर चुके होते हैं.

भारत में ईवीएम से चुनाव को लेकर भी लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं और सरकार की ओर से यह खंडन किया जाता रहा है कि ईवीएम की हैकिंग संभव नहीं है, लेकिन पेगासस फोन हैकिंग ने यह साबित कर दिया है कि यदि आपको किसी तकनीक की जानकारी नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसी कोई तकनीक हो ही नहीं सकती है?

देश के चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव प्रक्रिया में ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं हो और जनता के मताधिकार का उल्लंघन नहीं हो, लिहाजा आगे के चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया जाए या नहीं, इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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