गोमेद रत्न कब किस स्थिति में धारण करना चाहिए ?

गोमेद रत्न कब किस स्थिति में धारण करना चाहिए ?

प्रेषित समय :20:23:48 PM / Thu, Jul 22nd, 2021

ज्योतिष शास्त्र में गोमेद को राहु ग्रह का रत्न कहा जाता है. जो कि एक छाया ग्रह है. इसका अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ से जुड़ जाता है, उसके अनुसार ही अपना फल देने लगता है इसकी एक विशेषता है कि जब राहु देता है तो आंख मुद कर देता भी है और लेता भी उसी तरीके से है गोमेद पहनने से लाभ और हानि दोनों हो सकते है. इसलिए गोमेद पहनने से पहले उसके बारे में अच्छे से जान लेना भी जरूरी होता है.

राहु का सम्बन्ध अगर केंद्र के स्वामियों से बन रहा हो या केंद्र मे स्थित हो तो गोमेद धारण कर सकते हैं.

राहु अगर लग्न से या जन्म राशि से तीसरे, छठे भाव मे हो तो रत्न धारण कर सकते हैं.

राजनीति के क्षेत्र से जुड़े जातक या जो  राजनीति मे जाना चाहते हैं वे भी गोमेद धारण कर सकते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक के काम मे कार्य कर रहे जातक या जो व्यापार कर रहे हैं वो भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं
राहु अगर सम राशि मे बैठा हो तो भी रत्न धारण कर सकते हैं.

सिंह लग्न मे राहु बैठा है और सूर्य से दृष्टि सम्बन्ध हो तो भी रत्न धारण किया जा सकता है.

वकालत, न्याय या शेयर मार्केट मे पैसा लगाने वाले जातक भी गोमेद धारण कर सकते हैं पर ग्रह कि स्थिति देखकर,
कालसर्प या नाग दोष के पीड़ित  जातकों को भी गोमेद विशेष लाभकारी रहता है.

कोर्ट केस मे फसे जातको को या जो दलाली से सम्बंधित काम करते हैं वो भी रत्न धारण कर सकते हैं बशर्ते कुण्डली मे राहु कि स्थिती देखने के बाद,

वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुछ लग्न वाले जातक भी गोमेद धारण कर सकते हैं.

कुण्डली मे अगर अष्टलक्ष्मी का योग बना हो तो भी गोमेद धारण किया जाता है अगर राहु योगकारक भावो से संबंध बना रहा हो और अश कम हो तो इस रत्न को धारण कर सकते हैं
राहु अगर द्वितीय, चतुर्थ, नवम, दशम, एकादश भाव मे हो तो इस रत्न को धारण कर सकते हैं.

चर्म रोग, किडनी ,मानसिक अशांति,श्वास, आंतो मे दिक्कत,मृगी, या  बेवजह भय लगना या तंत्र मंत्र से परेशान जातक भी गोमेद धारण कर सकते हैं.

राहु शुक्र बुध साथ हो कुण्डली मे हो तो रत्न धारण किया जा सकता है
बनते हुए काम पुरे नहीं होते या किसी के द्वारा काम को बांध दिया हो तो भी रत्न धारण कर सकते हैं.

राहु चन्द्र, शनि राहु, गुरु राहु  मंगल राहु युती मे या शत्रु ग्रह की महादशा मे भी रत्न धारण ना करे,

ध्यान रहे यह रत्न पंचधातु या अष्टधातु मे ही धारण करना चाहिए यदि राहु शत्रु ग्रहों को साथ या अष्टम, द्वादश स्थान मे बैठा हेो तो भी अपने भूदेवो से विचार विमर्श करने के बाद ही धारण करना चाहिए:-

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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