प्रदीप द्विवेदी. अपनी सियासी सुरक्षा के मद्देनजर साहेब ने मीडिया हाउस पर छापे डलवाए, अच्छा है, लेकिन यदि पत्रकारों के हक में एक छापा देश के विभिन्न मीडिया हाउस पर भी डलवा दें.... तो बात बन जाए?
नेहरू युग के 70 साल छोड़िए, आप तो मोदी युग के 7 सालों में ही पत्रकारों के साथ हुए अन्याय का हिसाब कर डालिए!
इन सात वर्षों में अनेक पत्रकार बेरोजगार हो गए, मारे गए, प्रताड़ित किए गए, उन्हें निर्धारित वेतनमान नहीं मिले और अब अदालतों के चक्कर काट रहे हैं, लिहाजा एक छापा तो बनता है?
देश को कालाधन तो पता नहीं कब मिलेगा, पत्रकारों को उनके हक का सफेदधन ही मिल जाए, तो ब्लैक एंड व्हाईट जिंदगी में थोड़े-से रंग भर जाएं?
किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में कोई जांच दल विभिन्न मीडिया हाउस के पत्रकारों से रूबरू होकर उनसे उनका पक्ष सुनकर राहत दिलाए, उनका हक दिलाए!
लेकिन, लगता नहीं है कि ऐसा हो पाएगा, क्योंकि मीडिया में बहुत बड़ा हिस्सा गोदी मीडिया का भी तो है, आखिर सत्ता को समर्पित मीडिया हाउस की रक्षा करना भी तो प्रमुख सत्ताधर्म है?
देश के प्रमुख पत्रकार रविंद्र गौतम का यह सवाल महत्वपूर्ण है कि- गोदी मीडिया के किस चैनल या अखबार पे रेड हुई है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गोदी मीडिया के किस चैनल या अखबार पे रेड हुई है?#DainikBhaskar #GodiMedia #ITRaid #PegasusProject pic.twitter.com/WjBVPU4gfY
— Ravindra Gautam (@RavindraGautam_) July 25, 2021
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