नजरिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक दर्जन से ज्यादा दलों के नेताओं को यदि एक मंच पर लाने में कामयाब रहे हैं, तो इसका मुख्य श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी के जनविरोधी निर्णयों को दिया जा सकता है.
पेगासस, राफेल सौदे जैसे मुद्दों को छोड़ भी दें तो मोदी राज में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, महंगाई, कृषि कानून, बेरोजगारी, कोरोना संकट आदि किसी भी मामले में तो जनता को राहत की किरण नजर नहीं आई है. तो क्या, धारा 370 जैसे केवल इमोशनल मुद्दों को लेकर मोदी सरकार जनता को लंबे समय तक अपने साथ रख पाएगी?
खबरें हैं कि मंगलवार सुबह तेल की कीमतों के खिलाफ संसद तक साइकिल से सफर के बाद, राहुल गांधी ने ब्रेकफास्ट के वक्त 14 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ एक बैठक की, ताकि यह तय किया जा सके कि ये सभी दल दोनों सदनों में सरकार के खिलाफ एकजुट होकर काम कर सकते हैं, किसान आंदोलन, पेगासस जासूसी जैसे मुद्दों पर उसे घेर सकते हैं.
हालांकि, मोदी टीम अभी भी बहुमत के दम पर इतरा जरूर रही है, लेकिन सच्चाई उन्हें दिखाई नहीं दे रही है.
सियासी सयानों का मानना है कि गुजरते समय के साथ जनता की नजरों में मोदी टीम का जो सियासी ग्राफ लगातार उतरता जा रहा है, उसकी सियासी कीमत बीजेपी के मुख्यमंत्रियों को आने वाले विधानसभा चुनावों में चुकानी होगी.
पीएम मोदी के जनविरोधी निर्णयों के कारण राहुल गांधी की सियासी सफलता की साइकिल तेजी से आगे बढ़ रही है, लिहाजा यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले चुनावों में बीजेपी, पीएम मोदी के जनविरोधी निर्णयों पर जनता को कैसे समझा पाती है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-… नाश्ते के बाद साइकल पर तय ये रास्ता , @RahulGandhi विपक्षी पार्टियों का आपस में बना रहे वास्ता … pic.twitter.com/hmBZ2Mu8qA
— Supriya Bhardwaj (@Supriya23bh) August 3, 2021
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