परमाणु बम गिराने के लिए अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी को ही क्यों चुना

परमाणु बम गिराने के लिए अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी को ही क्यों चुना

प्रेषित समय :11:59:24 AM / Fri, Aug 6th, 2021

06 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया. ना केवल जापान इससे दहल गया बल्कि सारी दुनिया थर्रा उठी. इसके 03 दिन बाद फिर नागासाकी पर भी बम गिराया गया. लाखों लोग एक ही झटके मारे गए. उससे भी बम के कारण हुए विकिरण से मारे जाते रहे. ये हादसा 76 साल पहले हुआ था. लेकिन ये ऐसी घटना है जो भुलाए नहीं भुलती. इस बम के बाद ही एशिया में द्वितीय युद्ध का खात्मा औपचारिकता रह गई. जापानी सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया. करीब एक हफ्ते बाद ही जापान ने मित्र देशों के गठबंधन के सामने आत्मसमर्पण भी कर दिया.

क्या हुआ था 6 अगस्त को

6 अगस्त  1945 को ही हिरोशिमा में सुबह 8.15 के समय अमेरिका के बी29 बॉम्बर एनोला गे ने लिटिल बॉय नाम का परमाणु गिराया था जिसमें 20 हजार टन के टीएनटी से भी ज्यादा बल था. इस समय शहर के बहुत सारे लोग काम पर जा रहे थे. बच्चे भी स्कूल पहुंच चुके थे. एक अमेरिकी सर्वे के मुताबिक यह बम शहर के केंद्र के ही पास गिराया गया था, जिससे 80 हजार लोग मारे गए. इतने ही घायल हुए.

तीन दिन बाद एक और बम

इसके तीन दिन बाद ही एक और परमाणु बम जिससे फैट मैन कहा जाता है नागासाकी के ऊपर सुबह 11 बजे गिराया जिसमें 40 हजार लोग मारे गए. सर्वे के मुताबिक नागासाकी में नुकसान बहुत कम हुआ क्योंकि यह बम एक घाटी में गिरा और उसी वजह से उसका असर ज्यादा नहीं फैला. इसका असल केवल 1.8 वर्ग मील तक ही हुआ.

फिर भी यह सवाल

अमेरिका ने क्यों गिराया हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम, इस सवाल का जवाब पर कई मत है. 1945 में जापान और अमेरिका के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था. जापान ने इंडोचायना इलाके पर कब्जा करने की नीति अपनाई, जिससे अमेरिका खफा हो गया था. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमन को परमाणु बम के उपयोग के अधिकार दे दिए थे जिससे जापान को युद्ध में आत्मसमर्पण करने में मदद मिल सके.

चेतावनी भी दी गई थी

ट्रूमन ने जापान को चेताया था कि अगर वो समर्पण नहीं किया तो अमेरिका जापान के किसी भी शहर को पूरी तरह से नेस्तोनाबूद करने के लिए तैयार है. अगर जापान ने उनकी शर्तों को नहीं माना तो वे हवा में बर्बादी की बारिश देखने के लिए तैयार रहे. उन हालातों में जापान ने कोई समझौता नहीं किया. फिर अमेरिका ने बम गिराने का फैसला कर 6 अगस्त को हिरोशिमा पर और 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए. हिरोशिमा पर जिस समय बम गिराया गया, वो लोगों के आफिस जाने का समय था. बम भी इस शहर के मुख्य केंद्र पर गिराया गया. इस मामले कुछ और मत भी हैं जो अमेरिका के जापान पर परमाणु बम गिराने का अलग कारण बताते हैं. इतिहासकार गार एलपरोजित्ज ने 1965 में अपने किताब में दलील दी है कि जापान तो उस समय हार ही रहा था, लेकिन अमेरिका युद्ध के बाद सोवियत संघ से शक्ति के मामले में आगे निकलना चाहता था. इसीलिए उनसे यह एक तरह का ‘शक्ति प्रदर्शन’ किया. यह भी कहा जाता है कि यह मत उस समय सोवियत संघ ने प्रचलित किया था.

ये दो शहर ही क्यों

हिरोशिमा और नागासाकी के चुने जाने के पीछे कई कारण थे. ट्रूमन चाहते थे कि शहर ऐसे हों जिन पर बम गिराने का पर्याप्त असर हो, सैन्य उत्पादन इनमें प्रमुख था जिससे कि जापान की युद्ध क्षमता को सबसे बड़ा नुकसान हो सके. हिरोशिमा इसके लिए उपयुक्त था. जापान का सातवां बड़ा शहर, जो अपने देश की दूसरी सेना और चुगोकु सेना का हेडक्वार्टर था. इसमें देश के सबसे बड़े सैन्य आपूर्ति भंडार गृह थे.

इसके बाद पूरी दुनिया से दूसरे विश्व युद्ध का खात्मा हो गया. लेकिन इन परमाणु बमों पर मानवीयता पर एक बदनुमा दाग लगा दिया जिसे युद्ध के कारण होने वाली तबाही के तौर पर याद किया जाता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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