लग्न कुंडली विश्लेषण के साथ नवमांश कुंडली का विश्लेषण बहुत जरूरी होता है बिना नवमांश कुंडली के केवल लग्न कुंडली से विश्लेषण करने से फलित गलत हो सकता है.यहां आज केवल नवमांश कुंडली के अनुसार वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा वैवाहिक और पत्नी की क्या स्थिति है? पर लिखने का प्रयास कर रहा हूँ.सबसे पहले तो लग्न कुंडली अनुसार ही विवाह वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी का विचार करना चाहिए यदि लग्न कुंडली में विवाह की स्थिति ठीक न हो तब नवमांश कुंडली से विवाह और वैवाहिक जीवन के सम्बन्ध में जानकारी ली जाती है. नवमांश कुंडली में वैवाहिक जीवन के लिए नवमांश लग्न के स्वामी और नवमांश लग्न, नवमांश कुंडली के सप्तम भाव और इस भाव के स्वामी की स्थिति का विचार विवाह सुख के कारक लड़के के लिए शुक्र और लड़की के लिए गुरु देखा जाता है.नवमांश लग्न और नवमांश लग्नेश स्वयं जीवनसाथी है नवमांश लग्न लग्नेश और इनपर पड़ने वाला ग्रहो का प्रभाव जीवनसाथी का रंग, रूप, चरित्र, स्वभाव और वैवाहिक जीवन की स्थिति व् वैवाहिक कितना खुशहाल रहेगा इसकी 50% जानकारी देता है नवमांश लग्न लग्नेश पर शुभ ग्रहो का प्रभाव जीवनसाथी के स्वभाव और आचरण में सौम्यता, दयालुता और उदारता देता व् बुद्धिमान जीवनसाथी मिलता है पाप या क्रूर ग्रहो शनि मंगल राहु केतु का प्रभाव जीवनसाथी के स्वभाव में गर्मजोशी मंगल होने से व् शनि राहु केतु से जिद्दी और कुछ अड़ियल स्वभाव देता है जैसे सामान्य भाषा में कह देते है व्यक्ति अहंकार पूर्ण या इसमें बड़प्पन और समझदारी कम है.यदि नवमांश लग्न लग्नेश के ठीक और बली है तो यह जल्द ही और बिना बाधा के विवाह होना निश्चित करता है.इसके बाद सातवाँ भाव और भावेश साथ ही लड़का है तो विवाह सुख कारक शुक्र और लड़की है तो गुरु यह भाव भावेश और कारक ग्रह बली होकर केंद्र या त्रिकोण या लाभ भाव में बैठे होने से अच्छा वैवाहिक जीवन लम्बे समय के लिए मिलता है नवमांश कुंडली के सातवे भाव या भावेश से बली गुरु या शुक्र का सम्बन्ध होना जरूरी होता है क्योंकि यह दोनों बिना के कारक है इन दोनों का सहयोग यदि नवमांश कुंडली के सांतवे भाव या भावेश को न मिले तो विवाह हो पाना सम्भव नही होता यदि लग्न कुंडली में भी विवाह योग ठीक और बली नही है तब.यदि नवमांश कुंडली में सप्तमेश को नवमेश( भाग्य के स्वामी) का साथ मिल जाता है मतलब सप्तमेश और भाग्येश का आपस में शुभ ग्रहो के सहयोग गुरु शुक्र चन्द्र या बुध के द्वारा मिलता है तब ऐसा विवाह बहुत ही खुशहाली वाला और भाग्यवर्धक होता है.
जैसे कन्या लग्न की नवमांश कुंडली में सप्तमेश बृहस्पति और भाग्येश शुक्र का आपस में बली सम्बन्ध विवाह बाद भाग्य को बलवान बनाएगा और व्यक्ति विवाह बाद जीवन में उन्नति आर्थिक और सामाजिक रूप से करेगा.नवमांश कुंडली के सप्तमेश और सप्तम भाव पर पापग्रहों शनि राहु केतु मंगल का अशुभ प्रभाव नही होना चाहिए वरना विवाह और वैवाहिक जीवन योग की स्थिति होने पर भी वैवाहिक जीवन तनाब पूर्ण रहेगा.इस तरह मुख्य रूप से नवमांश लग्न, लग्नेश और सप्तम भाव सप्तमेश विवाह कारक शुक्र गुरु का बली होना अच्छा विवाह कराता है साथ ही यदि जन्म कुंडली का सप्तमेश(सप्तम भाव का स्वामी) भी नवमांश कुंडली में बली या उसी, स्वराशि का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो यह सोने पर सुहागा वाली बात हो जाती है और वैवाहिक जीवन की स्थिति को बल मिलता है.इसके आलावा नवमांश कुंडली से वैवाहिक जीवन को व्यतीत करने के लिए धन और परिवार की स्थिति के लिए नवमांश कुंडली दूसरे भाव और भावेश की स्थिति, तीसरे भाव से पति-पत्नी का आपसी सहयोग, चोथे भाव से गृहस्थी कितनी बड़ी रहेगी और घरेलु सुख, पाचवे भाव से जीवनसाथी की बुद्धि और समझदारी इसी तरह आगे जो भाव जिस विषय को दर्शाता है उसकी वैवाहिक जीवन में क्या स्थिति रहेगी का विचार वैवाहिक के लिए किया जाता है.इस तरह से नवमांश कुंडली से वैवाहिक जीवन, विवाह और जीवनसाथी का गहराई से पूरी तरह से विचार किया जा सकता है.
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