(1)सबसे पहले देखें की कुंडली में लग्न मजबूत स्थिति में है या नहीं ?
(2)- और फिर देखें की उसकी मानसिकता कैसी है मतलब यदि उसके लग्न पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव होगा तो वह व्यक्ति किसी से दबकर नहीं रहेगा और किसी के अंडर में काम करना उसके स्वभाव के विपरीत होगा , वह व्यक्ति अपना व्यवसाय ही चुनेगा , क्योंकि वह उसमे अच्छी तरह अपनी बुद्धि का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा.
3 -यदि लग्न , पंचम पर सूर्य और गुरु का प्रभाव है तो व्यक्ति उच्चाधिकारी हो सकता है या ऐसा काम करता होगा जिसमे उसको आदेश देने हो और उसको किसी के द्वारा कोई आदेश न मिल रहा हो . इसके साथ नवांश की स्थिति भी देख लें उसमें 1 और 5 भाव की क्या स्थिति है.
यदि बुध ग्रह सूर्य से अलग हो एक साथ न हो तो व्यक्ति की सोच इंडिपेंडेंड होती है तो ऐसी स्तिथि में व्यक्ति नौकरी करता भी है तो वह उसके साथ में कोई व्यवसाय भी करने की सोचता है या करता है .
यदि बुध ख़राब कंडीशन में हो तो व्यक्ति को व्यवसाय में नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है.
यदि बुध अस्त हो तो जिस ग्रह की राशि में बुध अस्त है उस ग्रह से सम्बंधित उपाय करना ठीक रहेगा पर ये भी देखें की वह ग्रह भी ठीक अवस्था में है या नहीं और कौन से भाव का स्वामी है शुभ या अशुभ .
यदि लग्नेश मूल त्रिकोण राशि,स्वराशि,उच्च का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो जातक धन संपत्ति से युक्त होता है
लग्न कुंडली में सातवें घर से दसवें घर तक या फिर दसवें घर से तीसरे घर तक 6 बलवान ग्रह बैठे हों और सातवें भाव के स्वामी और कारक ग्रह शुक्र भी अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति अपना व्यवसाय चुनता है.
इसके अलावा यदि ऐसी स्थिति न बने तो व्यक्ति नौकरी करना पसंद करता है.
कर्म का कारक शनि भी अच्छी कंडीशन में हो तो व्यवसाय या नौकरी अच्छी चलेगी अन्यथा उतार चढ़ाव आएंगे जैसे नौकरी बार - बार छूटना , न लग पाना या व्यवसाय में परेशानियों का सामना करना.
एक और महत्वपूर्ण बात की सुदर्शन कुंडली में भी देखें की कौन से ग्रहों का प्रभाव 10 वां भाव पर पड़ रहा है उसके अनुसार ही व्यक्ति नौकरी चुने.
और सप्तम भाव पर जिन ग्रहों का प्रभाव आये सुदर्शन में उसके अनुसार व्यवसाय चुने.
कार्यक्षेत्र में उन्नति के लिए दशम भाव पे प्रभाव डालने वाले ग्रह और दशमेश के नक्षत्र के स्वामी की स्थिति कुंडली में अच्छी होनी चाहिए.
दशम भाव से करियर का विचार
दशम भाव से करियर का विचार किया जाता है यानी जातक को किस कर्म अथवा किस व्यापार द्वारा सफलता प्राप्त होगी इन सबका विचार दशम भाव से ही होता है. लग्न से जातक का शरीर, चंद्रमा से मन और सूर्य से आत्मा का विचार होता है. लग्न स्थान से दशम स्थान मनुष्य के शारीरिक परिश्रम द्वारा कार्य सम्पन्नता, चंद्रमा से दशम स्थान द्वारा जातक की मानसिक वृत्ति के अनुसार कार्य सम्पन्नता का एवं सूर्य से आत्मा की प्रबलता का ज्ञान होता है. लग्न और चंद्रमा में जो बली हो, उससे दशम भाव द्वारा कर्म और जातक के करियर का विचार किया जाता है. यदि चंद्रमा और लग्न इन दोनों में से दशम स्थान पर कोई ग्रह न हो तो सूर्य से, दशम स्थान में स्थित चंद्रमा से और सूर्य से दशम स्थान में कोई ग्रह न हो तो ऐसी स्थिति में दशम स्थान के स्वामी के नवांशपति से करियर का विचार किया जाता है. तीनों स्थानों से आजीविका का विचार किया जाता है. उन तीनों स्थानो में से जो बली हो उसके दशम स्थान में स्थित ग्रह से अथवा उसके दशमेश के नवांशपति के अनुसार जातक की मुख्य आजीविका होती है.
नौकरी करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य,बुद्धि और याददाश्त तेज चाहिए, इसलिए मंगल सूर्य बलवान होना चाहिए, चौथा स्थान प्रतिष्ठा का और पांचवां स्थान बुद्धि प्रतिभा दर्शाता है, तो वो स्थान मजबूत चाहिए, चोथा, पांचवां स्थान में शुक्र और शनि सहायक होता है, शारीरिक कार्य के लिए शनि, मंगल, महत्व का है, बिजली, सेना रेलवे, पुलिस , डाक्टर ,फार्मा,जमीन के कामकाज के लिए बलवान चाहिए, साथ-साथ भाग्यभाव भी देख ना चाहीए, भागीदारी करने के लिए सप्तम भाव और लाभ के लिए ग्यारहवाँ भाव भी देखा जाय
विदेश में अच्छी इनकम के लिए 7, 9 और 12 भाव का सम्बन्ध दशम और तीसरे भाव से होना चाहिए.
यदि 4 से 6 ग्रहों का प्रभाव शुभ प्रभाव में 10 और 7 वें भाव से हो तो जातक कई तरह के व्यवसाय एक साथ कर लेता है
दशम और लगन का अच्छा सबंध हो और शनि सूर्य की स्तिथि अच्छी हो लगन पर शुभता हो तो नौकरी में कामयाबी मिलती है
षड्वर्ग में यदि दशम भाव बलि हो तो नौकरी और यदि सप्तम बलि हो तो व्यवसाय और यदि दोनों बलि हो तो नौकरी और व्यवसाय दोनों में सफलता मिलती है.
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