नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने का विधान है!

नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने का विधान है!

प्रेषित समय :21:31:07 PM / Thu, Aug 12th, 2021

*श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है.  इस बार ये पर्व 13 अगस्त, शुक्रवार को है.  इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है.  हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है.  महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है.  इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं.  
नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं-*

वासुकि नाग
*धर्म ग्रंथों में वासुकि को नागों का राजा बताया गया है.  ये हैं भगवान शिव के गले में लिपटे रहते हैं.  (कुछ ग्रंथों में महादेव के गले में निवास करने वाले नाग का नाम तक्षक भी बताया गया है).  ये महर्षि कश्यप व कद्रू की संतान हैं.  इनकी पत्नी का नाम शतशीर्षा है.  इनकी बुद्धि भगवान भक्ति में लगी रहती है.  जब माता कद्रू ने नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब नाग जाति को बचाने के लिए वासुकि बहुत चिंतित हुए.  तब एलापत्र नामक नाग ने इन्हें बताया कि आपकी बहन जरत्कारु से उत्पन्न पुत्र ही सर्प यज्ञ रोक पाएगा. *
*तब नागराज वासुकि ने अपनी बहन जरत्कारु का विवाह ऋषि जरत्कारु से करवा दिया.  समय आने पर जरत्कारु ने आस्तीक नामक विद्वान पुत्र को जन्म दिया.  आस्तीक ने ही प्रिय वचन कह कर राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को बंद करवाया था.  धर्म ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय नागराज वासुकि की नेती (रस्सी) बनाई गई थी.  त्रिपुरदाह (इस युद्ध में भगवान शिव ने एक ही बाण से राक्षसों के तीन पुरों को नष्ट कर दिया था) के समय वासुकि शिव धनुष की डोर बने थे. *

शेषनाग
*शेषनाग का एक नाम अनंत भी है.  शेषनाग ने जब देखा कि उनकी माता कद्रू व भाइयों ने मिलकर विनता (ऋषि कश्यप की एक और पत्नी) के साथ छल किया है तो उन्होंने अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करनी आरंभ की.  उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं होगी. *
 *ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती-डुलती रहती है, अत: तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए.  इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया.  क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं.  धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे. *

तक्षक नाग
*धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है.  तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है.  उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी.  तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था.  इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे.  यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया. *

*जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा.  तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया.  उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए. *
 *नाग पंचमी के दिन , जिन को काल सर्प योग है , वे शांति के लिए ये उपाय करे | पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक दोने में कच्चा दूध रख दीजिये , घी का दीप जलाए , कच्चा आटा , घी और गुड मिला कर एक छोटा लड्डू बना के रख दे और ये मन्त्र बोला कर प्रार्थना करें 
 *ॐ अनंताय नमः*
 *ॐ वासुकाय नमः*
 *ॐ शंख पालाय नमः*
 *ॐ तक्षकाय नमः*
 *ॐ कर्कोटकाय नमः*
 *ॐ धनंजयाय नमः*
 *ॐ ऐरावताय नमः*
 *ॐ मणि भद्राय नमः*
 *ॐ धृतराष्ट्राय नमः*
 *ॐ कालियाये नमः*

*श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है.  इस बार ये पर्व  13 अगस्त, शुक्रवार को है.  इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है.  हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है.  महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है.  इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं.  नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं-*

कर्कोटक नाग
*कर्कोटक शिव के एक गण हैं.  पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए. *
 *ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित शिव  लिंग की स्तुति की.  शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा.  इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया.  तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं.  मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती. *

कालिया नाग
*श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था.  उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था.  श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए.  यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ.  अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया.  तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोड़ने के लिए प्रार्थना की.  तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो.  श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया. *
*इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं. * 
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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