सुप्रीम कोर्ट का आदेश: कर्मचारी किसी जगह पर ट्रांसफर के लिए नहीं दे सकते जोर, नियोक्ता जरूरतों के हिसाब से करेगा ट्रांसफर

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: कर्मचारी किसी जगह पर ट्रांसफर के लिए नहीं दे सकते जोर, नियोक्ता जरूरतों के हिसाब से करेगा ट्रांसफर

प्रेषित समय :17:27:40 PM / Sun, Sep 12th, 2021

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई कर्मचारी किसी स्थान विशेष पर तबादला करने के लिए जोर नहीं दे सकता है. कोर्ट ने कहा कि नियोक्ता अपनी जरूरतों के हिसाब से कर्मचारियों का ट्रांसफर करने का अधिकार रखता है. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अक्टूबर 2017 के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक लेक्चरर की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही.
हाईकोर्ट ने अमरोहा से गौतमबुद्ध नगर ट्रांसफर किये जाने के लिए संबंधित प्राधिकार द्वारा उनके अनुरोध को खारिज किये जाने के खिलाफ अर्जी को रद्द कर दिया था. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने छह सितंबर के अपने आदेश में यह बात कही. अमरोहा जिले में पदस्थ महिला अध्यापिका ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने गौतमबुद्ध नगर के एक कॉलेज में तबादला करने का अनुरोध किया है और प्राधिकार ने सितंबर 2017 में इसे खारिज कर दिया था.

कॉलेज में फिर से भेजने की अपील उचित नहीं

महिला के वकील ने 2017 में हाईकोर्ट में दलील दी थी कि वह पिछले चार साल से अमरोहा में काम कर रही हैं और सरकार की नीति के अनुसार उन्हें ट्रांसफर का अधिकार है. हाईकोर्ट ने कहा था कि संबंधित प्राधिकार द्वारा पारित आदेश से पता चलता है कि अध्यापिका गौतमबुद्ध नगर के एक कॉलेज में दिसंबर 2000 में अपनी प्रारंभिक नियुक्ति से लेकर अगस्त 2013 तक वहां 13 सालों तक सेवा में रहीं, इसलिए उसी कॉलेज में फिर भेजने का उनका अनुरोध उचित नहीं है.

नोएडा के पीजी कॉलेज में की थी ट्रांसफर की अपील

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर याचिकाकर्ता ने अपनी वर्तमान पोस्टिंग की जगह पर अपेक्षित साल पूरे कर लिए हैं, तो वह किसी दूसरी जगह पर ट्रांसफर के लिए अपील कर सकती है. हालांकि उस जगह पर वो ट्रांसफर के लिए अपील नहीं कर सकती, जहां उन्होंने पहले से ही अपने 13 साल पूरे कर लिए हों. याचिकाकर्ता अमरोहा के राजकीय महाविद्यालय में लेक्चरर (साइकोलॉजी) के रूप में कार्यरत थी. उन्होंने नोएडा के पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में अपने ट्रांसफर के लिए अपील की थी. 14 सितंबर 2017 को उनकी अपील को प्राधिकार ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने इस फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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