नई दिल्ली. भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े में जल्द ही मिराज 2000 लड़ाकू विमान शामिल होंगे. इंडियन एयर फोर्स चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के अपने पुराने बेड़े को मजबूत करने और दो मौजूदा स्क्वाड्रनों के सुरक्षित भागों को बेहतर स्थिति में लाने के प्रयास में 24 सेकेंड-हैंड मिराज 2000 लड़ाकू विमानों का सौदा किया है.
इस विमान को भी उसी डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया है जिसने भारत के लिए राफेल लड़ाकू विमान बनाए हैं. IAF ने लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए 27 मिलियन यूरो (233.67 करोड़ रुपये) के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. इन 24 लड़ाकू विमानों से 8 उड़ने के लिए तैयार स्थिति में हैं. जानकारी के मुताबिक इस विमान सौदे में एक लड़ाकू विमान की कीमत 1.125 मिलियन यूरो (9.73 करोड़ रुपये) है. ये विमान जल्द ही कंटेनरों में भारत भेज दिए जाएंगे.
क्यों पड़ी जरूरत?
2019 में बालाकोट ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने वाले IAF के 35 वर्ष पुराने लड़ाकू विमान मिराज को अपडेट किया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए 300 महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स की तत्काल आवश्यकता है. फ्रांस में ये विमान प्रचलन से बाहर हो रहे हैं, ऐसे में इन विमानों के सौदे से भारतीय एयर फोर्स के लड़ाकू विमान के बेड़े को मजबूती मिलेगी.
इन 24 लड़ाकू विमानों में से 13 के इंजन और एयरफ्रेम बेहतर स्थिति में हैं, जिनमें से आठ (लगभग आधा स्क्वाड्रन) सर्विसिंग के बाद उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाएंगे. वहीं, 11 लड़ाकू विमान फ्यूल टैंक और इजेक्शन सीटों के साथ आंशिक रूप से तैयार हैं, जिनका इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के दो मौजूदा स्क्वाड्रनों को मोडिफिकेशन के लिए किया जाएगा.
IAF ने 1985 में लगभग 50 चौथी पीढ़ी के मिराज 2000 C और B लड़ाकू विमानों को एक मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट के साथ खरीदा था, जो कॉन्ट्रैक्ट 2005 में समाप्त हो गया था. इसके बाद 2015-2016 में फ्रांसीसी मूल उपकरण निर्माता के साथ एक और कॉन्ट्रैक्ट किया गया. जिसके बाद 2015 में भारत को अपग्रेडेड मिराज-2000 लड़ाकू विमान मिले जो नए रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस थे.
ये सौदा भविष्य में अधिग्रहण के लिए स्पेयर पार्ट्स और इंजन को भारत में स्थानांतरित करने के महत्व पर प्रकाश डालती है, क्योंकि भारत की तुलना में विदेशों में लड़ाकू विमान बहुत तेजी से अप्रचलन तक पहुंच जाते हैं. जब तक नरेंद्र मोदी सरकार ने 4.5 पीढ़ी के राफेल लड़ाकू विमान (डसॉल्ट से भी) का सौदा नहीं किया था, तब तक मिराज 2000 ही भारत की अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान था. ये कारगिल युद्ध के बाद से लेकर अब तक भारतीय बेड़े को मजबूती प्रदान किए हुए है. आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि लड़ाकू विमानों के मूल उपकरण और स्पेयर पार्ट्स का निर्माण अब भारत में ही किया जाए ताकि लड़ाकू विमान के सेवा में रहने तक पुर्जों की कोई कमी न हो.
क्यों खास है मिराज 2000 लड़ाकू विमान
मिराज-2000 की खासियत है कि ये 2,336 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. डबल इंजन वाला ये विमान 13,800 किलो गोला बारूद ले जाने में सक्षम है. चौथी पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान ने करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. इस लड़ाकू विमान का इस्तेमाल 9 देशों की सेनाएं करती हैं.
इस लड़ाकू विमान में दो इंजन होने की वजह से एक के फेल होने की स्थिति में दूसरा इंजन काम करता रहता है और इससे विमान के क्रैश होने की संभावना बेहद कम हो जाती है. ये विमान हवा में दुश्मन को खत्म करने की क्षमता रखता है. साथ ही ये भारी मात्रा में एक साथ बमबारी और मिसाइल अटैक कर सकता है.
इस लड़ाकू विमान में DEFA 554 ऑटोकैन लगे हैं, जो 30 मिमी रिवॉल्वर प्रकार के तोप से लैस हैं. ये तोप एक मिनट में 1800 गोलियां दाग सकता है. साथ ही ये विमान आसमान से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें, आसमान से आसमान में मार करने वाली मिसाइलें, लेजर गाइडेड मिसाइलें और परमाणु बम से लैस क्रूज मिसाइलों को ले जाने की क्षमता रखता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में एक अक्टूबर से बंद होंगी शराब की प्राइवेट दुकानें
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