नई दिल्ली. कांग्रेस ने गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर करीब 3000 किलोग्राम हेरोइन बरामद किए जाने को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की खामोशी को लेकर विपक्ष ने हमला तेज कर दिया है.
कांग्रेस सहित तमाम दल पूछ रहे हैं कि मोदी की खामोशी क्या इस कारण है कि मुंद्रा पोर्ट का मालिकाना हक गौतम अडाणी के पास है. अडाणी पोर्ट गौतम अडाणी की कंपनी है. कांग्रेस ने दावा किया कि मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई ड्रग की खेप दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी खेप है, जो समूचे देश के युवाओं को ड्रग की लत लगा कर बर्बाद करने को पर्याप्त है.
अफग़ानिस्तान से गुजरात कैसे पहुंची यह ड्रग. नार्कोटिक्स विभाग और खुफिया तंत्र क्या कर रहा था, क्योंकि यह ड्रग एक सामान्य जांच के दौरान पकड़ी गयी. विभाग को इसकी कोई पूर्व भनक तक नहीं थी. इतनी बड़ी खेप पकडे जाने पर यह सवाल भी उठ रहा है कि ड्रग की तस्करी करने वालों ने गुजरात के उसी पोर्ट को क्यों चुना जो अडानी समूह का पोर्ट था.
ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में गुजरात तस्करों का सबसे अधिक पसंदीदा राज्य बन गया है. कांग्रेस 11 सवाल उठाते हुये पूछा कि पिछले 18 महीनों से नार्कोटिक्स विभाग में महानिदेशक का पद क्यों खाली पड़ा है.
पार्टी प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि इसके पीछे सरकार की क्या मंशा है. उन्होंने सरकार से जवाब मंगा कि ड्रग तस्करी रैकेट में कौन लोग हैं और पीछे से इनकी मदद कौन कर रहा है. कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने टिप्पणी की है. गुजरात के अदाणी मुंद्रा पोर्ट पर जब्त 3000 किलो ड्रग्स की कीमत 21,000 करोड़ बतायी जा रही है.
पिछले सप्ताह गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर हिंदुस्तान के इतिहास में सबसे अधिक मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किया गया. ये बहुत ज्यादा गंभीर मामला बनता है. यह भारत के नौजवानों को बर्बाद करने की साजिश है. यही नहीं, इससे मिले पैसे का उपयोग करके भारत में ही आतंकी गतिविधियों का वित्तपोषण भी किया जाता है. कांग्रेस नेता के मुताबिक, सबको पता है कि इस बंदरगाह का स्वामित्व अडाणी समूह के पास है. उन्होंने सवाल किया, आखिर क्या कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में मादक पदार्थों यानी ड्रग्स की तस्करी करने वालों का सबसे प्रिय रास्ता वह गुजरात हो गया है, जो देश का गौरव है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भ्रष्टाचार के आरोप में बीजेपी दिल्ली ने तीन पार्षदों को किया 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित
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