नजरिया. बिहार में कभी प्रभावी रही दिग्गज नेता रामविलास पासवान की पार्टी- लोक जनशक्ति पार्टी के अच्छे दिनों को नजर लग गई है, नतीजा यह है कि परिवार की आपसी सियासी जंग के कारण एलजेपी के भविष्य पर ही सवालिया निशान गहराता जा रहा है?
खबर है कि चुनाव आयोग ने शनिवार को चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस, दोनों धड़ों के लिए लोक जनशक्ति पार्टी के नाम या उसके चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने पर तब तक रोक लगा दी है, जब तक कि आयोग प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच विवाद का निपटारा नहीं कर देता है!
अलबत्ता, आयोग ने यह जरूर कहा कि दोनों धड़े आगामी दिनों में दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उप-चुनाव के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए उपलब्ध चुनाव-चिह्नों का उपयोग कर सकते हैं.
जाहिर है, इन सियासी हालातों का नुकसान दोनों को होगा, किसे ज्यादा या किसे कम, इसका कोई मतलब इसलिए नहीं है कि एलजेपी पहले भी बिहार में उतनी ताकतवर नहीं थी, लिहाजा पार्टी और कमजोर ही होगी.
सियासी सयानों का मानना है कि अपनों से ज्यादा गैरों पर भरोसा करने का नुकसान दोनों धड़े उठा रहे हैं, इसलिए समय रहते यदि दोनों एक नहीं हुए तो एलजेपी का सियासी अस्तित्व बचाना मुश्किल होगा और सियासी अस्तित्व नहीं रहा, तो कोई राजनीतिक राम, किसी सियासी हनुमान का साथ नहीं देगा?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अपने प्रेरणादायी विचारों से जन-जन में राष्ट्रीयता व देश प्रेम का संचार करने वाले, सादगी और विनम्रता के प्रतीक, देश के पूर्व प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें मेरा सहृदय नमन। pic.twitter.com/Zud3NkBMqL
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 2, 2021
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