नई दिल्ली. शिवसेना ने देश में तेजी से बढ़ रहे ऊर्जा संकट को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश में जिस तरह से ‘ऊर्जा’ संकट मंडरा रहा है, उसके लिए केंद्र सरकार किस पर उंगली उठाएगी? सरकार के संबंधित विभागों को कोयले की कम उपलब्धता और उसकी वजह से उत्पन्न होने वाला बिजली संकट का पूर्वानुमान नहीं होना, सरकार की नाकामी को बताता है.
पानी नाक के ऊपर चला जाए ऐसी भयंकर अवस्था होने तक केंद्र सरकार क्या कर रही थी, यह सवाल उठता ही है. ये समस्या निश्चित तौर पर एक दिन में खड़ी नहीं हुई होगी इसलिए समय पर उचित कदम उठाए गए होते तो आज बिजली उत्पादन पर जो प्रश्नचिह्न लगे हैं, वे नहीं लगे होते.
फिलहाल हमारा देश हर ओर अंधेरे में धकेला जा रहा है. उसमें कोयले की कमी के कारण बिजली का उत्पादन ठप होने से पूरा देश अंधेरे में धकेल ही दिया गया तो अलग क्या होगा? जिस लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटा जाता है, उस लोकतंत्र का भविष्य अंधकारमय है. 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का ढोल पीटे जाने के दौरान कोयले के अभाव में बिजली उत्पादन ठप होने से यह ‘अंधेरा’ और गहरा होने वाला है तो इसे बदलने वाले देश का नया विकास कहा जाए क्या?
उबरती देश की अर्थव्यवस्था पर ‘कोयला संकट’ का खतरा मंडरा रहा है. देश के कोयला संचालित स्टेशन में ईंधन की भयंकर कमी आ गई है. वहीं, सरकार भी स्थिति को असामान्य और अनिश्चित बता रही है. भारत में करीब 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयला से चलने वाले स्टेशन में होता है. हालांकि, भारत ही नहीं यूरोप, चीन में कई जगहों पर ऊर्जा का संकट बढ़ रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महाराष्ट्र में मंदिर खुलेंगे, लेकिन गरबा पर बैन- जानें नवरात्रि के नियम
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