प्रदीप द्विवेदीः उत्तर प्रदेश में केवल पांच प्रतिशत वोटों के बदलाव का खेला है!

प्रदीप द्विवेदीः उत्तर प्रदेश में केवल पांच प्रतिशत वोटों के बदलाव का खेला है!

प्रेषित समय :21:44:24 PM / Sun, Oct 10th, 2021

न्यूज-व्यूज. मोदीजी के कृषि कानूनों की मेहरबानी से यह तो साफ हो गया है कि इस बार बीजेपी को पिछली बार से कम वोट मिलेंगे, लेकिन कितने कम? इसी पर निर्भर है यूपी में अगली सरकार!

यदि किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी के पांच प्रतिशत वोट भी कम हो गए, तो बीजेपी की वापसी मुश्किल हो जाएगी?

उधर, प्रियंका गांधी की सक्रियता ने सभी दलों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है!

लग रहा है कि पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस के वोट में बड़ा बदलाव आएगा?

खबर है कि- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार को वाराणसी में किसान न्याय रैली में पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि- लखीमपुर खीरी मामले में जब तक गृहराज्यमंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा नहीं होता है, तब तक हम लड़ते रहेंगे. प्रियंका ने कहा कि- पीएम मोदी ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को आंदोलनजीवी कहा, तो मंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि वह 2 मिनट के भीतर विरोध करने वाले किसानों को सुधार देंगे.

प्रियंका गांधी ने कहा कि लखीमपुर खीरी में जो हुआ, उसे पूरे देश ने देखा है. छह किसानों को निर्ममता से कुचल दिया गया. छह-के-छह परिवार कहते हैं कि हमें पैसे नहीं चाहिए, मुआवजा नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए.

जहां इस रैली में जुटी भीड़ कांग्रेस का उत्साह बढ़ानेवाली है, वहीं इसमें किसानों की भारी संख्या यूपी की बदलती सियासी तस्वीर दिखा रही है.

प्रमुख पत्रकार शकील अख्तर @shakeelNBT ने इस रैली को लेकर लिखा- प्रियंका गांधी किसान न्याय रैली में हिस्सा लेने वाराणसी पहुंची, बनारस का उत्साह, बनारस की सड़कें जाम हैं, यूपी में कांग्रेस का नया उत्साह, बाबा विश्वनाथ के मंदिर में पूजा अर्चना, बाबा विश्वनाथ के बाद मां दुर्गा के मंदिर में और फिर किसान न्याय रैली में, बहुत दिन बाद गूंजे- जय जवान जय किसान के नारे, प्रियंका गांधी के चेहरे की खुशी बता रही है कि उन्हें कुछ पॉजिटिव चेंज दिखने लगे हैं.

नेता लोगों के दिलों में पहुंच गया!
यह कैसे मालूम होता है?

मालूम तब होता है जब कविताएं लिखी जाने लगें, प्रशंसकों के भाव गद्य में समाहित न हों, कविता निकल पड़े, अपनी या चाहे जिसकी, भाव कविता में, शेर में, नारे में आने लगें!

दिल का जुड़ाव कविता से ही पता चलता है, आज बहुत आईं!

अभी यूपी में बड़ा सवाल यह है कि अगले विधानसभा चुनाव में होगा क्या?

यदि बंगाल के मतदाताओं की तरह यूपी के मतदाताओं को समझ में आ गया तो, कांग्रेस फायदे में रहेगी?

आमतौर पर ऐसा माना जा रहा है कि गैरभाजपाई एकता के अभाव में बीजेपी जीत सकती है, लेकिन सियासी गणित बताता है कि गैरभाजपाई अलग लड़कर ही जीतेंगे!

वरना, राहुल गांधी की तरह हार जाएंगे, क्योंकि जिस भी विपक्षी दल का उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं हुआ, उस दल का वोट बीजेपी को डाइवर्ट हो जाएगा, जैसा अमेठी में हुआ?

यदि सपा-बसपा के उम्मीदवार अमेठी में होते तो राहुल गांधी हारते नहीं!

बंगाल में भी अगर टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट मिलकर लड़ते तो बीजेपी जीत जाती?

क्योंकि, जहां टीएमसी का अकेला उम्मीदवार होता वहां कांग्रेस-लेफ्ट समर्थक बीजेपी को वोट देते, तो जहां कांग्रेस लेफ्ट का उम्मीदवार होता वहां टीएमसी के वोट बीजेपी को जाते!

इस बार यूपी में वह दल जीतेगा जो 25 से 35 प्रतिशत वोट लाएगा, क्योंकि 5 से 7 प्रतिशत वोटों के बदलाव से सारी सीटों का गणित बदल जाएगा, पिछली बार कई जगहों पर जीतने और हारने वाले उम्मीदवार के बीच बहुत कम वोटों का अंतर था, मतलब.... किसी की हार-जीत का अभी ऐलान करना जल्दबाजी होगी?

वैसे, यदि वोटों का गणित गड़बड़ाया, तो यूपी में त्रिशंकु नतीजे भी आ सकते हैं?

लेकिन, इतना तय है कि मोदीजी के कृषि कानून, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दाम, बेरोजगारी, महंगाई आदि मुद्दे योगी सरकार की उपलब्धियों पर सवालिया निशान जरूर लगा देंगे!

https://twitter.com/i/status/1447198267347910656

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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