नजरिया. इधर, पीएम नरेंद्र मोदी कह रहे थे कि यूपी में 2017 से पहले 24 घंटे चलती थी भ्रष्टाचार की साइकिल, तो उधर, टीवी पर बातचीत में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक नई ऊंचाइयों पर पहुंचे भ्रष्टाचार के बारे में जानकारियां दे रहे थे?
खबर है कि इंडिया टुडे से खास बातचीत में सत्यपाल मलिक का कहना था कि कोरोना काल के दौरान गोवा में बीजेपी सरकार ने कई गलत फैसले लिए, उस वक्त गोवा में सरकार ने भ्रष्टाचार किया, मुझे इसलिए हटाया गया क्योंकि मैंने उस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, मुझे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ काम करने का मौका मिला है, इसलिए मैं भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकता.
उनका तो यह भी कहना था कि- कोरोना काल में गोवा सरकार की घर-घर राशन वितरण की योजना अव्यवहारिक थी, यह एक कंपनी के आग्रह पर किया गया था, जिसने सरकार को पैसा दिया था, इस मामले में मुझसे लोगों ने जांच करने को कहा, मैंने मामले की जांच की और प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी दी.
इतना ही नहीं, कुछ समय पहले राजस्थान के झुंझनू जिले में एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने यह दावा करके भी सियासी धमाका कर दिया था कि मेरे कार्यकाल के दौरान मुझसे कहा गया था कि यदि मैं अंबानी और एक अन्य व्यक्ति की दो फाइलों को मंजूरी दे दूं तो मुझे रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने सौदों को रद्द कर दिया.
भ्रष्टाचार के इन मामलों की जानकारियां जब पीएम मोदी को भी दी गई थी, तो फिर क्या कार्रवाई हुई?
इसीलिए बड़ा सवाल भी यही है कि- न खाऊंगा, न खाने दूंगा, केवल भाषण की शोभा बढ़ानेवाला जुमला ही था या उसका कोई प्रायोगिक अस्तित्व भी है?
https://twitter.com/nadeeminc/status/1452901296567029762
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