न्यूयार्क. चीन के जासूसी के खतरे को देखते हुए अमेरिका ने बड़ा फैसला लिया है. दूरसंचार से जुड़े अमेरिका के नियामक ने देश में चाइना टेलिकॉम के लाइसेंस को रद्द कर दिया है. अमेरिका ने चीनी टेलिकॉम कंपनियों के जासूसी के खतरे को देखते हुए यह बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के बाद अब चाइना टेलिकॉम को अगले 60 दिनों के अंदर अमेरिका में अपनी सेवाओं को बंद करना होगा. इससे पहले भारत ने भी लद्दाख सीमा विवाद के बाद चीनी कंपनियों को जोरदार झटका देते हुए दर्जनों ऐप पर बैन लगा दिया था.
अमेरिका के फेडरल कम्यूनिकेशन कमिशन ने चाइना टेलिकॉम पर यह बैन लगाया है. चाइना टेलिकॉम चीन की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है और उसके पास अगले 20 साल तक के लिए अमेरिका में टेलिकॉम सेवाएं देने का अधिकार था. इस खबर के आते ही अमेरिका में सूचीबद्ध चीनी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आई है. यही नहीं हॉन्ग कॉन्ग में भी चीनी कंपनियों के शेयर को झटका लगा है. हेंग सेंग इंडेक्स 1 प्रतिशत नीचे चला गया.
चाइना टेलिकॉम चीन सरकार से बहुत ज्यादा प्रभावित
वहीं हेंग सेंग टेक इंडेक्स में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. सबसे ज्यादा चीनी कंपनियों टेनसेंट, अलीबाबा, जेडी डॉट कॉम और एक्सडी आदि के शेयर गिरे हैं. फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने पाया कि चाइना टेलिकॉम चीन सरकार से बहुत ज्यादा प्रभावित है और उसका शोषण किया जाता है. इससे इस बात का खतरा बहुत ज्यादा है कि चाइन टेलिकॉम चीन सरकार के अनुरोध पर बिना कानूनी प्रक्रिया के सूचनाएं साझा कर सकती है.
अमेरिकी नियामक ने कहा कि चीनी सरकार के स्वामित्व और नियंत्रण के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा और कानूनों के प्रवर्तन का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है. चीन सरकार अमेरिकी सूचनाओं तक पहुंच सकती है, उसे सुरक्षित रख सकती है और उसे बाधित कर सकती है. अमेरिका के इस फैसले के बाद चाइना टेलिकॉम ने कहा है कि यह ‘निराशाजनक’ है और वह अपनी सेवाओं को जारी रखने के लिए सभी उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल करेगी.
फिक्स्ड लाइन और ब्रॉडबैंड ऑपरेटर के मामले में सबसे बड़ा
वर्ष 2019 में चाइना टेलिकॉम के दुनियाभर में 33 करोड़ 50 लाख ग्राहक थे और दावा किया जाता है कि यह दुनिया में फिक्स्ड लाइन और ब्रॉडबैंड ऑपरेटर के मामले में सबसे बड़ा है. यह अमेरिका में चीनी सरकार के कार्यालयों में भी सेवाएं मुहैया कराती है. चाइना टेलिकॉम की नजर अमेरिका में 40 लाख चीनी अमेरिकी लोगों और हर साल आने वाले 20 लाख पर्यटकों पर थी. इसके अलावा चीन के 3 लाख चीनी छात्र भी इसके रडार पर थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अमेरिका पर फिर साइबर हमला:रूसी हैकर्स ने US की 140 IT कंपनियों को निशाना बनाया
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