चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण पर अमेरिकी बयान से खलबली

चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण पर अमेरिकी बयान से खलबली

प्रेषित समय :07:37:22 AM / Fri, Oct 29th, 2021

नई दिल्ली.  अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चीन ने जिस तरह गुपचुप हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया वो स्पुतनिक लॉन्च जैसा है.

1957 में रूस ने स्पुतनिक सैटेलाइट लॉन्च की थी जिसके बाद से शीत युद्ध में अमेरिका और रूस के बीच हथियारों की रेस शुरू हो गई थी.

अमेरिकी सेना में जॉइंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के प्रमुख मार्क मिली ने ये बातें ब्लूमबर्ग न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में कहीं. उन्होंने कहा कि चीनी सेना में ‘तेज़ी से विस्तार’ हो रहा है.

मार्क मिली ने कहा, “हमने देखा कि चीन ने एक बेहद महत्वपूर्ण हाइपरसोनिक हथियार का परीक्षण किया और बड़ी चिंता का विषय है. यह स्पुतनिक मोमेंट जैसा है जिसने हमारा पूरा ध्यान अपनी ओर खींचा है.”

यह पहली बार है जब अमेरिकी पक्ष ने चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ बोला है.

हालाँकि पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने जनरल मिली की टिप्पणी पर कुछ कहने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा, “यह कोई ऐसी तकनीक नहीं है जिसके बारे में हमें मालूम नहीं है.’’

किर्बी ने कहा कि अमेरिका अपना सुरक्षा तंत्र और हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है.

रूस के स्पुतनिक से क्यों हो रही है तुलना?

ब्रितानी अख़बार फ़ाइनैंशियल टाइम्स ने कुछ समय पहले ख़बर छापी थी कि चीन ने अगस्त महीने में ही अंतरिक्ष से हाइपरसोनिक मिसाइल का गुपचुप परीक्षण किया था.

इस ख़बर से अमेरिका समेत दुनिया के कई देश हैरान रह गए थे.

हालाँकि चीन ने इससे इंकार किया था और कहा था कि यह कोई मिसाइल टेस्ट नहीं बल्कि एक स्पेसक्राफ़्ट का परीक्षण था.

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से पाँच गुना ज़्यादा गति से हमला कर सकती हैं और इन्हें एयर डिफ़ेंस सिस्टम से पहचान पाना भी मुश्किल होता है.

पिछले हफ़्ते अमेरिका ने भी हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया था. दुनिया में कम ही देशों के पास अभी यह तकनीक है.

चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट की तुलना रूस के स्पुतनिक परीक्षण से इसलिए की जा रही है क्योंकि शीत युद्ध के दौरान साल 1957 में रूस ने स्पुतनिक सैटेलाइट लॉन्च करके अमेरिका के मन में यह डर पैदा कर दिया था कि वो तकनीकी रूप से ज़्यादा उन्नत हो रहा है.

इसके तुरंत बाद ही अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी ने एलान किया था कि अमेरिका चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्री भेजेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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