नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सार्वजनिक असहिष्णुता की वजह से समलैंगिक जोड़े को प्रदर्शित करने वाले करवा चौथ का विज्ञापन वापस लेने पर नाराजगी जताई और कहा कि पुरुषों और महिलाओं को मानसिकता बदलने की जरूरत है.
न्यायाधीश भारतीय कंपनी डाबर के ‘करवा चौथ’ पर जारी विज्ञापन का संदर्भ दे रहे थे. यह त्योहार उत्तर भारत में पत्नी अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती हैं. डाबर के विज्ञापन में दो महिलाओं को जोड़े के रूप में दिखाया गया था जो त्योहार मना रही हैं. इस विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के एक नेता द्वारा व्यक्त की गई नाराजगी के बाद वापस ले लिया गया था.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘केवल दो दिन पहले, सभी को पता चला कि इस विज्ञापन को कंपनी को वापस लेना पड़ा. यह समलैंगिक जोड़े के लिए करवा चौथ का विज्ञापन था. इसे जनता की असहिष्णुता के आधार पर वापस लिया गया.’
न्यायमूर्ति ने यह बात शनिवार को वाराणसी में राष्ट्रव्यापी विधि जागरूकता कार्यक्रम ‘विधि जागरूकता के जरिये महिलाओं का सशक्तिकरण’ कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कही.
जागरूकता अभियान राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के जरिये चलाया जा रहा है और इसका नेतृत्व सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश यूयू ललित कर रहे हैं. इस अभियान में राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तर प्रदेश राज्य विधि सेवा प्राधिकरण सहयोग कर रहा है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता का तभी अर्थ होगा जब यह युवा पीढ़ी के पुरुषों में पैदा की जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अमिताभ बच्चन ने पान मसाले ब्रांड से खत्म किया करार, बोले नहीं पता था यह सरोगेट विज्ञापन है
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