नई दिल्ली. सही तरीके से कारोबारी फैसले लेने वाले बैंककर्मियों के संरक्षण के लिए वित्त मंत्रालय ने 50 करोड़ रुपये तक के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स वाले खातों के लिए समान कर्मचारी जवाबदेही नियम जारी कर दिए हैं. इन दिशानिर्देशों को एनपीए में बदलने वाले खातों के लिए 1 अप्रैल 2022 से लागू किया जाएगा. वित्त मंत्रालय के वित्त सेवा विभाग ने कहा है कि इन नियमों के तहत 50 करोड़ रुपये तक के कर्ज से संबंधित सही तरीके से लिए गए फैसलों के गलत होने पर अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी.
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने कहा कि वित्त मंत्रालय के वित्त सेवा विभाग ने 29 अक्टूबर 2021 के आदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों की ओर से धाखोधड़ी के मामलों के अलावा 50 करोड़ रुपये तक के एनपीए खातों के लिए कर्मचारी जवाबदेही ढांचे पर व्यापक दिशानिर्देशों को अपनाने की सलाह दी है. इसमें कहा गया है कि बैंक दिशानिर्देशों के आधार पर कर्मचारी जवाबदेही नीतियों को संशोधित करें और संबंधित बोर्ड की मंजूरी से प्रक्रियाओं को तैयार करें.
इकोनॉमी को समर्थन देने में मदद करेंगे नए नियम
डीएफएस के दिशानिर्देश की मदद से बैंकों को उनके वास्तविक वाणिज्यिक फैसले के गलत होने से निपटले के लिए तैयार किया जा सकता है. यह बैंकों को क्रेडिट से जुड़े फैसले तेजी से लेने में मदद करेगा. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को समर्थन देने में मदद करेगा. आईबीए ने कहा कि बैंकों को खाते को एनपीए के तौर पर वर्गीकृत करने की तारीख से 6 महीने के भीतर कर्मचारियों की जवाबदेही का काम पूरा करना होगा.
कर्ज एनपीए होने के लिए तय की जा रही जवाबदेही
वित्त सेवा विभाग ने नए नियमों के तहत बैंकों के व्यवसाय के आकार के आधार पर मुख्य सतर्कता अधिकारी की ओर से जवाबदेही की जांच के लिए थ्रेसहोल्ड लिमिट की सलाह दी है. आईबीए ने कहा कि मूल्यांकन, मंजूरी या निगरानी में अधिकारियों के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को भी अहमियत दी जाएगी. इस समय विभिन्न बैंक स्टाफ जवाबदेही काम करने के लिए अलग-अलग प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं. साथ ही एनपीए बनने वाले सभी खातों के संबंध में कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जा रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एक नवंबर से बदल जाएंगे एलपीजी और बैंक खाते से जुड़े ये नियम, जानें आप पर क्या होगा असर
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