सिर्फ दस मिनट तक राग दरबारी संगीत सुनने से ही एकाग्रता में होती है वृद्धि

सिर्फ दस मिनट तक राग दरबारी संगीत सुनने से ही एकाग्रता में होती है वृद्धि

प्रेषित समय :07:23:32 AM / Thu, Nov 18th, 2021

कानपुर  . आई आई टी  कानपुर के शोध नतीजे सामने आए हैं कि सिर्फ दस मिनट राग दरबारी सुनने के बाद दिमाग की एकाग्रता में अत्‍यंत वृद्धि नोट की गई. भारतीय शास्त्रीय संगीत में राग दिन में एक विशेष समय से संबंधित होते हैं और उस समय या गाए जाने पर वे सबसे अच्छा असर दिखाते हैं. मूल राग के नियंत्रण में मौजूद तत्व शरीर में 100 से अधिक नसों और उनके आरोही (आरोह) और अवरोही (अवरो) नोट्स मूड और गतिशीलता को नियंत्रित करते हैं. यूं तो भारतीय संस्कृति में कला का विशेष स्थान रहा है, और कला में भी खासकर संगीत का, और संगीत भी जब राग-रागनियों वाला हो. राग दरबारी सुनने से दिमाग तेज होता है, अब इस बात को IIT कानपुर भी शोध में परिणाम सामने आने के बाद मान चुका है.

राग सुनने से बढ़ती सोचने समझने की क्षमता

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर में शास्त्रीय संगीत की विभिन्न राग-रागनियों पर शोध जारी है. Raag Darbari ने चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं. मस्तिष्क की नेटवर्किंग पर राग-रागनियों से पड़ने वाले असर पर शोध किया जा रहा है. दस मिनट राग दरबारी सुनने के बाद दिमाग के न्यूरॉन्स तेजी से सक्रिय हुए और दिमाग को एकाग्र किया. इससे सोचने-समझने की क्षमता बेहतर हुई और दिमाग तेजी से निर्णय लेने की स्थिति में था. विशेषज्ञ अब कई और रागों पर काम कर रहे हैं. मस्तिष्क की संरचना में अहम घटक न्यूरॉन्स दरअसल वैद्युत कोशिकाएं हैं, जो विद्युत चुंबकीय प्रक्रिया के माध्यम से संदेश प्रवाहित करते हैं.

पिछले वर्ष 15 छात्रों पर किया शोध

IIT कानपुर के ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस (मानविकी और समाज) विभाग के प्रो. बृजभूषण, इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और शोधार्थी आशीष गुप्ता इस शोध दल में शामिल हैं. इन्‍होंने पिछले वर्ष तक 15 छात्रों पर शोध किया गया. इन छात्रों ने पहले कभी राग दरबारी नहीं सुना था. 10 मिनट तक उन्हें राग सुनाया गया. फिर इन छात्रों का बारी-बारी से ईईजी टेस्ट हुआ.

इलेक्ट्रो-एन्सेफलो-ग्राम (ईईजी) मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि का मूल्यांकन करता है. मस्तिष्क कोशिका विद्युत आवेगों के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करती हैं. इस गतिविधि को ईईजी द्वारा रिकॉर्ड कर लिया जाता है. राग सुनने से पहले छात्रों के न्यूरॉन्स की जांच की गई. फिर 10 मिनट तक राग सुनाया गया. उस दौरान भी न्यूरॉन्स की जांच जारी रखी गई और राग समाप्त होने के बाद भी जांच की गई. तीनों जांच में नतीजे चौंकाने वाले आए.

महज 100 सेकेंड में न्यूरॉन्स की सक्रियता पहुंची चरम पर

तीन चरणों में आई रिपोर्ट की ग्राफिकल मैपिंग की गई. राग सुनने के दौरान महज 100 सेकेंड में न्यूरॉन्स की सक्रियता चरम पर पहुंच गई थी. यह स्थिति राग सुनने तक (दस मिनट) बनी रही. उसके कुछ देर बाद न्यूरॉन्स पहले जैसे हो गए. प्रो. बेहरा बताते हैं कि न्यूरॉन्स के बीच न्यूरल फायङ्क्षरग होती है. जब एक न्यूरॉन दूसरे को करंट सप्लाई करता है, तो उसे न्यूरल फायङ्क्षरग कहते हैं. यही न्यूरॉन्स की सक्रियता को भी दर्शाता है. थोड़ी देर ही राग को सुनने पर यह गतिविध चरम पर जा पहुंची. इंटेलीजेंस स्तर बताने वाले न्यूरॉन्स की मैपिंग हुई, परिणाम शानदार रहे. राग सुनने के बाद श्रोता ने काफी बेहतर महसूस किया.

विदेश में भी हुए शोध, दूर कर रहे रोग

जर्नल ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कुछ महत्‍वपूर्ण रोगों के निवारण में हमारे विभिन्न रागों ने बड़ी भूमिका निभाई है. जैैैैसे–

हाई ब्लडप्रेशर : राग तोड़ी, अहीर भैरव, राग बागेश्री, मालकौंस, तोड़ी, पूरिया, अहीर भैरव, जयजयंती, राग मालकौंस फायदेमंद हो सकते हैं.

चिंता, हाईपरटेंशन : राग काफी, राग दरबारी, राग शिव रंजनी, राग खमाज, राग आसावरी.

क्रोध पर नियंत्रण के लिए : राग सहाना अति उपयोगी है. राग दरबारी को अगर देर रात को सुना जाए तो तनाव कम करने में मदद मिलती है. दोपहर में राग भीमपलासी सुना जा सकता है.

पेट संबंधी रोगों के लिए : राग पूरिया धनाश्री और राग दीपक को अम्लता के लिए, राग जौनपुरी और गुनकली को कब्ज के लिए, मालकौंस को गैस के लिए सुना जा सकता है.

हृदय रोग : सारंग वर्ग के राग, कल्याणी और चारुकेसी.

सिरदर्द : राग आसावरी, पूरवी और राग तोड़ी.

डायबिटीज : राग बागेश्री और राग जयजयंती रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकते हैं.

आम तौर पर लोगों में सही तरीके से नहीं होती न्यूरल फायरिंग

विशेषज्ञों के मुताबिक आम तौर पर लोगों में न्यूरल फायरिंग सही तरीके से नहीं होती है. दिमाग के फ्रंटल एरिया (आगे का हिस्सा) के न्यूरॉन्स पैरेटल (मध्य भाग का हिस्सा) हिस्से के न्यूरॉन्स तक ही जा पाते हैं, पीछे के हिस्से तक नहीं. यदि ये पीछे तक भी जाएं तो इससे सोचने, समझने की क्षमता काफी बढ़ जाती है. राग दरबारी पर हुए हमारे शोध ने यह साबित किया है. आइआइटी के एचएसएस विभाग के प्रोफेसर बृजभूषण ने कहा कि राग दरबारी पर अनोखे तरह का शोध हुआ है. इसे सुनने के बाद एकाग्रता, बौद्धिक क्षमता, सोचने-समझने की क्षमता बढ़ जाती है. यह शोध नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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