नई दिल्ली.चीन ने अरुणाचल प्रदेश में विवादित सीमा के साथ एक दूसरा नया गांव बनाया है. मिलीं नई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक और एन्क्लेव बना लिया है, जिसमें कम से कम 60 इमारतें हैं.सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक, 2019 में यह एन्क्लेव मौजूद नहीं था, लेकिन दो साल बाद ही यह दिखने लगा.अरुणाचल प्रदेश के शी-योमी जिले में बने चीनी एन्क्लेव का निर्माण मार्च, 2019 और फरवरी, 2021 के बीच किया गया.एक मीडिया रिपोर्ट ने जनवरी में अरुणाचल प्रदेश के जिस इलाके में कब्जा किए जाने की जानकारी दी थी, और जिसकी पुष्टि कुछ ही दिन पहले पेंटागन की रिपोर्ट में भी की गई थी, नया एन्क्लेव उस इलाके से 93 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.
भारत ने कभी अपने क्षेत्र पर इस तरह के गैरकानूनी कब्जे को स्वीकार नहीं किया है, न ही वह चीन के अतार्किक दावों को स्वीकार करता है. बता दें यह दूसरा एन्क्लेव भारत के लगभग छह किलोमीटर भीतर है, और उस इलाके में है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के बीच है. भारत ने हमेशा इसके अपना इलाका होने का दावा किया है. तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एन्क्लेव में लोग बसे हुए हैं या नहीं.पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैली 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी वह सीमा है जो भारतीय नियंत्रित क्षेत्र को चीनियों से अलग करती है.
बता दें पहला गांव पिछले साल ऊपरी सुबनसिरी जिले में त्सारी चू नदी के तट पर निर्मित 100-घर का था, जो दूसरे एन्क्लेव से 93 किमी पश्चिम में स्थित है. नए एन्क्लेव, जो अपनी तरह का दूसरा है, का अस्तित्व दुनिया की दो नामी सैटेलाइट तस्वीर प्रदाता कंपनियों – मैक्सर टेक्नोलॉजीज और प्लैनेट लैब्स – की तस्वीरों से साबित होता है. अरुणाचल प्रदेश के शी-योमी जिले की इन तस्वीरों में न सिर्फ दर्जनों इमारतें नज़र आ रही हैं, बल्कि एक इमारत की छत पर चीन का झंडा भी पेंट किया दिखाई दे रहा है, जो आकार में इतना बड़ा है कि सैटेलाइट तस्वीरों में दिख गया. इस विशाल झंडे के जरिये इस इलाके पर चीन अपना दावा पेश करता दिखाई देता है.
नए एन्क्लेव की सटीक लोकेशन भारत सरकार की ऑनलाइन मैप सर्विस Bharatmaps द्वारा स्पष्ट दर्शाई गई है. भारत के इस डिजिटल नक्शे, जिसे बेहद सावधानी से सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया की निगरानी में तैयार किया जाता है, से यह भी पुष्टि होती है कि यह लोकेशन भारतीय सीमा के भीतर ही है.सैन्य संघर्षों तथा रक्षा नीति का विश्लेषण करने और डाटा उपलब्ध कराने वाली यूरोप से संचालित फोर्स एनालिसिस के लिए काम करने वाले मुख्य सैन्य विश्लेषक सिम टैक के मुताबिक, जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम के डाटा, जिसे सर्वे ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट से लिया गया, के आधार पर इस गांव की लोकेशन शर्तिया भारतीय इलाके में आती है.’यह ऐसी लोकेशन लगती है, जहां स्थानीय भौगोलिक स्थितियों की वजह से इस घाटी तक चीन का पहुंचना भारत की तुलना में ज़्यादा आसान होगा.
चीन पर अग्रणी रणनीति विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने कहा, नया गांव दिखाता है कि कैसे चीन धीरे-धीरे भारत की हिमालयी सीमाओं को खाता जा रहा है.इस बिल्कुल नए गांव की तस्वीरों से साफ है कि यह कृत्रिम है.चीन ने इस गांव का एक चीनी नाम भी रख दिया है, जबकि यह गांव उस इलाके में मौजूद है, जहां शायद कोई भी चीनी भाषा नहीं बोलता है. वहीं भारत से सटी अपनी सीमाओं पर चीन द्वारा निर्माण कार्यों का जारी रहना ऐसे वक्त में हो रहा है, जब उसने नया लैंड बॉर्डर लॉ पेश किया है, जिसमें सीमाई इलाकों में साधारण नागरिकों के लिए निर्माण करने के लिए सरकारी सहायता का वादा किया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण: दिल्ली- एनसीआर में अगले आदेश तक स्कूल-कॉलेज बंद, ट्रकों की एंट्री बैन
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