प्रदीप द्विवेदी. जब मोदी सरकार तीन कृषि कानून लाई थी, तब देसी मीडिया ने इसे मास्टर स्ट्रोक करार दिया था और अब जबकि यह कानून रद्द करने का पीएम मोदी ने ऐलान किया है तब भी देसी मीडिया इसे मास्टर स्ट्रोक साबित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन विदेशी मीडिया इसे लेकर क्या सोचता है यह बीबीसी की रिपोर्ट मैं स्पष्ट है....
बीबीसी की यह रिपोर्ट- पीएम मोदी के कृषि क़ानून वापस लेने के फ़ैसले पर विदेशी मीडिया में क्या छपा है? बताती है.... अमेरिका के मीडिया समूह सीएनएन ने इसको लेकर ख़बर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की और इसका शीर्षक है- एक साल से अधिक प्रदर्शनों के बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेंगे.
सीएनएन लिखता है कि प्रमुख राज्यों के चुनावों से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वो तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेंगे.
अमेरिकी अख़बार 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने पर अपना विश्लेषण लिखा है, जिसका शीर्षक है- किसानों के ग़ुस्से के आगे मोदी का सख़्त मिज़ाज नहीं चला.
अख़बार लिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीछे हटने के लिए नहीं जाने जाते हैं तो इसलिए इसका ख़ास महत्व है. तीन विवादित क़ानूनों के कारण हज़ारों किसान देश की राजधानी की सीमाओं पर पूरे एक साल से डटे हुए थे. पीएम मोदी की सात साल की सत्ता में यह सबसे गंभीर राजनीतिक झटका है.
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी प्रमुखता से अपने पन्ने पर इस ख़बर को जगह देते हुए शीर्षक लगाया है- मोदी भारत के किसानों के आगे झुके.
अख़बार लिखता है कि सात सालों से नरेंद्र मोदी का भारत की राजनीति पर वर्चस्व कायम है, जिसमें भारी जनसमर्थन के साथ वो संसद में हैं और प्रधानमंत्री अपनी नाटकीय और कई दफ़ा नुक़सानदेह नीतियों को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन शुक्रवार को एक दुर्लभ घटना हुई और मोदी वैसे नहीं दिखे जैसे प्रभावशाली दिखते थे.
हॉन्ग कॉन्ग के मशहूर अंग्रेज़ी अख़बार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने भी इस ख़बर को अपने पन्ने पर जगह दी है.
अख़बार ने इस ख़बर को लेकर शीर्षक लिखा है- महीनों लंबे विरोध प्रदर्शन के बाद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी विवादित कृषि कानूनों को ख़त्म करेंगे जो आश्चर्यजनक है.
इस ख़बर में आगे लिखा है कि एक साल से जारी विरोध प्रदर्शनों के बाद तीन कृषि सुधार क़ानूनों को वापस लिया जाएगा, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है और कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह चौंकाने वाला यू-टर्न उनके राजनीतिक करियर की एक महत्वपूर्ण हार है!
यकीनन, विदेशी मीडिया ने इसे जिस नजरिए से देखा है, वह साफ करता है विदेशी मीडिया यह मानता है कि यह चुनाव को लेकर मजबूरी में लिया गया फैसला है?
इसके साथ ही विदेशी मीडिया हाउस राजनीतिक रूप से मोदी के कमजोर होने की ओर भी इशारा कर रहे हैं!
पूरी खबर यहां पढ़ें.... https://www.bbc.com/hindi/international-59357589.amp
पीएम मोदी के इस फैसले से उनके समर्थक भी खासे परेशान हैं, क्योंकि उन्होंने कृषि कानूनों का जमकर समर्थन किया था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं, इसी मानसिकता को प्रदर्शित करता है प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट शेखर गुरेरा का कार्टून.... http://shekhargurera.com/
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आखिर कृषि क़ानूनों पर दोनों पक्ष इतने अड़े क्यों हैं? सवाल नियम और नीयत का है....
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