एमपी में परिवहन आयुक्त को हाईकोर्ट की फटकार, अवैध आटो संचालन मामले में पेश रिपोर्ट खारिज..!

एमपी में परिवहन आयुक्त को हाईकोर्ट की फटकार, अवैध आटो संचालन मामले में पेश रिपोर्ट खारिज..!

प्रेषित समय :20:49:38 PM / Mon, Dec 6th, 2021

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी में अवैध आटो संचालन के मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिवहन आयुक्त को फटकार लगाई है, कोर्ट ने अवैध आटो संचालन को रोकने के लिए दो सप्ताह में की गई कार्रवाई संबंधी कम्प्लायंस रिपोर्ट को दो बार खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश आरबी मलिमथ व न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की युगल बैंच ने 8 दिसम्बर को केस की सुनवाई नियत करते हुए ट्र्रांसपोर्ट कमिश्नर को तलब किया है.

                              जबलपुर सहित प्रदेश में अवैध आटो के संचालन सहित परमिट शर्ताे के उल्लघंन को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता सतीष वर्माने वर्ष 2013 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी, 8 साल से याचिका कोर्ट में लम्बित है दो सप्ताह पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह जबलपुर सहित मध्यप्रदेश में अवैध आटो का संचालन बंद करा पाएगी या कोर्ट किसी ओर एजेंसी को यह काम दे दे. दो सप्ताह बाद आज मामले की युगल बैंच में सुनवाई हुई, सुनवाई के दौरान परिवहन आयुक्त की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्रिल गांगुली की ओर से कम्प्लायंस रिपोर्ट पेश की गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया, लंच के बाद दोबारा पेश की गई रिपोर्ट को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दो सप्ताह में कागजी कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं किया गया है, इस तरह से चलता रहा तो परिवहन आयुक्त को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है, वर्ष 2013 से यह मामला लम्बित है और सरकार सिर्फ कम्प्लायंस रिपोर्ट पेश कर रही है समस्या जस की तस बनी हुई है.

वहीं सरकार की ओर से यह बताया कि प्रदेश में आटो सुधार योजना 2021 लाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन कोर्ट ने इसे भी नकार दिया. कोर्ट ने सरकार को दिन की मोहलत देते हुए कहा कि 8 दिसम्बर को सरकार की ओर से परिवहन आयुक्त सुबह दस बजे कोर्ट में उपस्थित होकर बताएं की प्रदेश में अवैध तरीके से संचालित 50 हजार से अधिक  आटो को रोकने की क्या योजना है.  वही याचिकाकर्ता सतीष वर्मा ने स्वयं व अधिवक्ता अमित पटेल ने मामले में पक्ष रखा है, कोर्ट से एमपी में सेंट्रल मोटर व्हीकल संशोधन नियम 2019 को लागू करने की मांग की है, कहा कि सरकार राजनीतिक दबाव में इसे लागू करने से बच रही है, कोर्ट ने 8 दिसम्बर को सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए केस को पहले नम्बर पर लगाने का आदेश दिया है. 

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