नई दिल्ली. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को अहम फैसला लेते हुए चुनावी सुधारों पर एक विधेयक पारित किया है. इसके तहत वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की मंजूरी दी जाएगी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के राइट टू जजमेंट और टेस्ट ऑफ प्रपोशनैलिटी के मद्देनजर ऐसा स्वैच्छिक आधार पर ही किया जाएगा. इसके अलावा इन सुधारों के तहत 18 वर्ष पूरे कर चुके पहली बार वोट देने वाले वोटर्स 1 जनवरी के बजाय अब चार कटऑफ डेट्स के साथ, साल में चार बार खुद को पंजीकृत कर सकेंगे.
चुनाव आयोग ने इससे पहले कई चुनावी सुधारों पर जोर देते हुए सरकार को सुझाव दिए थे. इसमें पेड न्यूज को अपराध बनाना और झूठा हलफनामा दाखिल करने की सजा को दो साल के कारावास तक बढ़ाना शामिल है. चुनाव आयोग ने इस साल जून में कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर इन लंबित चुनावी सुधारों को तत्काल लागू करने का अनुरोध किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार के पास लगभग 40 चुनावी प्रस्ताव लंबित थे. सरकार इन अहम चुनाव सुधारों को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश करेगी.
चुनाव आयोग ने अपने प्रस्ताव व्यापक चुनावी सुधारों पर जोर दिया था, जिसमें एनआरआई और प्रवासी श्रमिकों के लिए दूर से मतदान करने की सुविधा और मतदाताओं के डुप्लीकेशन को समाप्त करना शामिल था. इस साल की शुरुआत में, पोल पैनल ने आईआईटी मद्रास समेत आईआईटी और अन्य प्रमुख संस्थानों के प्रख्यात टेक्नोलॉजिस्ट्स के परामर्श से रिमोट वोटिंग को सक्षम करने के लिए एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया था.
इस साल की शुरुआत में पद छोड़ने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने उम्मीद जताई थी कि 2024 के लोकसभा चुनावों तक रिमोट वोटिंग का कॉन्सेप्ट अमल में आ सकता है.
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