पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी सरकार ने हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) के परीक्षा नियम में संशोधन को निरस्त करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब इसे कैबिनेट में रखा जाएगा. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरक्षित वर्ग के अम्यर्थी मैरिज में आएगें तो उन्हे अनारक्षित वर्ग में शामिल किया जाएगा.
एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस विजय शुक्ला की युगल बैंच में सरकार की ओर से इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया है, इसे रिकार्ड में लेते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई 22 दिसम्बर तय की गई है, मामले में कर्मचारी संगठन अपाक्स सहित 47 याचिकाएं लगाई गई है. याचिकाओं में कहा गया है कि परीक्षा नियमों में संशोधन के जरिए मैरिट में आने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं करने का प्रावधान किया गया है, जबकि यह सामान्य नियम नहीं है, वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा व रामेश्वरसिंह ठाकुर ने तर्क दिया कि इससे पीएसपी की परीक्षाओं में आरक्षण 113 प्रतिशत हो गया है.
गौरतलब है कि एमपीपीएससी 2019-20 की परीक्षा का रिजल्ट अब तक घोषित नहीं हो पाया है, आरक्षण के इस पेंच के समाप्त होने के बाद अब उम्मीद है कि जनवरी तक परीक्षा परिणाम घोषित हो सकता है. हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एमपीपीएससी भर्ती परीक्षा नियम 2015 को चुनौती दी गई है, इस नियम के तहत आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार अनारक्षित वर्ग में नहीं चुने जा सकते है, इस नियम को याचिकाकर्ताओं ने संविधान के खिलाफ बताया था, हाईकोर्ट ने पहले मामले में सुनवाई करते हुए पीएससी भरती को अपने अंतिम निर्णय के अधीन कर लिया था, जिसके चलते अब तक रिजल्ट घोषित नहीं किए जा सके है.
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