हर माह आने वाली पूर्णिमा का रहस्य

हर माह आने वाली पूर्णिमा का रहस्य

प्रेषित समय :21:06:30 PM / Wed, Dec 22nd, 2021

हिन्दू धर्म और ज्योतिष शास्त्रों में पूर्णिमा के रहस्य को उजागर किया गया है. वर्षभर में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष.

शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं. वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. उनमें से ही सबसे महत्वपूर्ण दिन है पूर्णिमा. सभी का अलग-अलग महत्व है. पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर है. 

इन तिथियों के नाम निम्न हैं : 

पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस). 

वर्ष की 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि मुख्य पूर्णिमा मानी गई है. 

क्या होता है पूर्णिमा के दिन : 

चांद का धरती के जल से संबंध है. जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है. मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है. पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है. 

एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है. पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है. कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं. 

जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है. ऐसे व्यक्‍तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है. इस कारण पूर्णिमा व्रत का पालन रखने की सलाह दी जाती है.

न करें ये कार्य : 

*इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. 
*इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए. इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं. 
*जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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