पूर्णिमा से अमावस्या तक शाम को घी का दीपक दक्षिण मुखी लौ करके जलाये

पूर्णिमा से अमावस्या तक शाम को घी का दीपक दक्षिण मुखी लौ करके जलाये

प्रेषित समय :20:13:25 PM / Mon, Sep 20th, 2021

जैसा कि आप सभी को विदित है हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि (20 सितंबर 2021) सोमवार से पितृ पक्ष प्रारंभ हो चुका  है और आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (6 अक्टूबर 2021) बुधवार को पितृ विसर्जन किया जाएगा.

धार्मिक मान्यता अनुसार अपने पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण हेतु तर्पण व श्राद्ध किया जाता है. वर्ष की जिस भी तिथि को पूर्वजों का निधन हुआ हो, पितृ पक्ष की उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है. भाद्रपद पूर्णिमा को केवल उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ हो.

तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध:-
सामान्य बोलचाल की भाषा में तर्पण श्राद्ध और पिंडदान आपने सुना होगा इसका अर्थ क्या है?

1-: तर्पण का अर्थ है कि हम अपने पितरों को जल दान कर रहे हैं.

2-: पिंडदान का अर्थ है हम पितरों के  निमित्त भोजन दान कर रहे हैं.

3-: श्राद्ध का अर्थ है हम आपको  श्रद्धा से स्मरण करते हैं. तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध का अर्थ यह हुआ 'हे पितृ देव आप हमारे लिए देव तुल्य हैं. आइए हमारे द्वारा श्रद्धा से बनाए गए भोजन व जल को ग्रहण कीजिए.

श्राद्ध कर्म कैसे प्रारंभ हुआ:-
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि श्राद्ध कर्म की शुरुआत कैसे हुई?

प्राचीन समय में सबसे पहले महर्षि निमि को अत्रि मुनि ने श्राद्ध का ज्ञान दिया था तब ऋषि निमि ने श्राद्ध किया और उनके बाद अन्य ऋषियों ने भी श्राद्ध कर्म प्रारम्भ कर दिया. तभी से पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण हेतु श्राद्ध कर्म करने की परंपरा प्रचलित हो गई.

श्राद्ध तिथियां
*श्राद्ध पक्ष 2021 की तिथियां*
20-9-2021- पूर्णिमा श्राद्ध .
21-9-2021- प्रतिपदा श्राद्ध.
22-9-2021- द्वितीया श्राद्ध.
23-9-2021- तृतीया श्राद्ध.
24-9-2021- चतुर्थी श्राद्ध.
25-9-2021- पंचमी श्राद्ध.
27-9-2021- षष्ठी श्राद्ध.
28-9-2021- सप्तमी श्राद्ध.
29-9-2021- अष्टमी श्राद्ध.
30-9-2021- नवमी श्राद्ध.
1-10-2021- दशमी श्राद्ध
2-10-2021 - एकादशी श्राद्ध .
3-10-2021-द्वादशी श्राद्ध .
4-10-2021-  त्रयोदशी श्राद्ध
5-10-2021- चतुर्दशी श्राद्ध.
6-10-2021- अमावस्या श्राद्ध, पितृ विसर्जन, अज्ञात तिथि श्राद्ध.

पितृ पक्ष में प्रतिदिन गाय को भोजन कराएं. पूर्णिमा से अमावस्या तक शाम को घी का दीपक दक्षिण मुखी लौ करके जलाये. भोजन का पहला निवाला कौवे के लिए रखें. तिथि के अनुसार तर्पण व पिंडदान करें. ब्रह्मभोज कराएं. तर्पण और श्राद्ध सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त से पहले करें. अंधेरे व रात्रि में श्राद्ध कर्म न करें. पितरों के निमित्त जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन व वस्त्र दान करें.

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

जानिए श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) में क्या करना चाहिए और क्या नहीं

श्राद्ध करने का निर्णय एवं तिथियां

बिहार में लगा शाम छह से सुबह के छह बजे तक का कर्फ्यू, शादी में 50 और श्राद्ध में 20 लोगों की मंजूरी

जानिए श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) में क्या करना चाहिए और क्या नहीं

पितृ पर्व-ये समय है ऋण चुकाने का

पितृ पक्ष को मित्र पक्ष भी बनाइए और दुनिया को पितृ और स्वर्गीय मित्र की खूबियां दिखाइए!

पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है?

Leave a Reply