एकैरैकस . लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है. यहां रोजमर्रा की खाने-पीने व अन्य जरूरत की चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं. यहां भुखमरी जैसे हालात हैं और खाने-पीने की सामान्य चीजों के लिए कत्लेआम मचा हुआ है. ऐसे में बड़ी संख्या में वेनेजुएला के लोग पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं. इसमें सबसे बुरी हालत महिलाओं की हो रही है. उन्हें ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
वेनेजुएला, दुनिया को सबसे ज्यादा मिस वर्ल्ड देने वाला देश है. बावजूद आर्थिक संकट की वजह से यहां की महिलाओं को देह बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. इन महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया और न्यूज एजेंसियों से बातचीत में अपनी दर्द भरी दास्तां साझा की है, जिसमें इनके चेहरे पर मजबूरी के भाव साफ देखे जा सकते हैं. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले एक प्रशिक्षित नर्स मैरिजा (परिवर्तित नाम) ने वेनेजुएला के मौजूदा हालातों में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए देश छोड़कर कोलंबिया में शरण ली थी. प्रवास के दौरान उसने अन्य पेशेवर प्रवासियों की तरह ही अपनी मां और तीन बच्चों को वेनेजुएला में छोड़ दिया था.
नर्स तो दूर सफाईकर्मी की भी नौकरी नहीं मिली
सीएनएन से बातचीत में मैरिजा ने बताया कि उसे उम्मीद थी कि कोलंबिया में उसे नर्स की कोई नौकरी मिल जाएगी, जिससे वह वेनेजुएला में रह रहे अपने परिवार का खर्च उठा सकेंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. नर्स तो दूर उन्हें सफाई कर्मचारी तक की नौकरी नहीं मिली. इसके बाद मैरिजा को एक ऐसा फैसला लेना पड़ा, जो उनके लिए असंभव था. मैरिजा के अनुसार परिवार का पेट भरने के लिए उन्हें वेश्यावृत्ति में उतारना पड़ा. वह आज किसी और मर्द के साथ होती हैं और अगले दिन किसी और मर्द के साथ. उनके लिए ये काम जितना मुश्किल है, उतना ही खतरनाक भी, लेकिन एक मां होने के नाते वह इसके बारे में सोच नहीं सकती हैं.
15 दिन की कमाई में आता है केवल एक पैकेट आटा
मैरिजा के अनुसार वेनेजुएला के हालात बिगड़ने के बाद बतौर प्रशिक्षित नर्स काम करते हुए वह 15 दिन की कमाई से केवल एक पैकेट आटा ही खरीद सकती थीं. छोटी-छोटी चीजों के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही थी. बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि उन्हें अपने बच्चे के लिए डायपर जैसी आवश्यक चीजें भी मिलेंगी या नहीं. खराब हालात की वजह से लोगों को पूरी रात स्टोर के बाहर बितानी पड़ती है, ताकि सुबह उन्हें खरीदारी के लिए नंबर मिल सके. इसके बाद भी लोगों को खरीदारी के लिए टोकन लिए घंटों खड़े रहना पड़ता है. फिर भी ये गारंटी नहीं कि स्टोर में उनके जरूरत की चीज मिल ही जाएगी. ऐसे में आपके पास कोई विकल्प नहीं होता है और आपके सामने जो होता है वही खरीदना पड़ता है.
हमने हमेशा शावेज को वोट दिया
वर्षों से वेनेजुएला के लोगों ने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का समर्थन किया, जिन्होंने ह्यूगो शावेज की तरह सामाजिक कार्यक्रमों के लिए देश की तेल संपदा का इस्तेमाल किया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब तेल के दाम गिरने लगे और वेनेजुएला की अर्थ व्यवस्था लड़खड़ाने लगी तो बहुत से लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया. मैरिजा के अनुसार वह भी उन लोगों में शामिल हैं. उनके पूरे परिवार ने हमेशा शावेज का समर्थन किया था, लेकिन शावेज और वर्तमान राष्ट्रपति मादुरो दोनों देश की खराब अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं. इन्होंने स्थिति को समय पर समझकर उससे निपटने के लिए सही प्रबंधन नहीं किया.
पहले लोग केवल घूमने के लिए विदेश जाते थे
मैरिजा के अनुसार जब अच्छा समय चल रहा था लोग घूमने फिरने के लिए देश से बाहर जाते थे, मजबूरी में नहीं. उस वक्त वहां भुखमरी, किसी चीज की कमी या विघटन जैसी चीजें नहीं थीं. अब उनके परिवार की आधारभूत जरूरतों ने उन्हें देश के बाहर कोलंबिया में धकेल दिया है, जहां वेनेजुएला के शरणार्थियों की वजह से ही भीषण बेरोजगारी है. वहां भी लोग परिवार के लिए मूल सुविधाएं जुटाने के लिए प्रतिदिन जद्दोजहद कर रहे हैं.
30 लाख लोग छोड़ चुके हैं वेनेजुएला
मैरिजा कहती हैं कि अगर किसी दिन उनकी मां को पता चला कि वह क्या कर रही हैं तो उन्हें गहरा धक्का पहुंचेगा, लेकिन वह उनकी मजबूरी समझ सकेंगी. वेनेजुएला छोड़कर पड़ोसी देश में शरण लेने वाली मैरिजा अकेली नहीं हैं, उनकी तरह कई और महिलाएं व युवतियां हैं जिन्हें अपनी और परिवार की परवरिश के लिए दूसरे देश में शरण लेनी पड़ी. वहां कोई काम न मिलने के कारण उन्हें वेश्वावृत्ति के धंधे में उतरना पड़ा. UNHCR द्वारा नवंबर-2018 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले कुछ वर्षों में वेनेजुएला से 30 लाख से ज्यादा लोग पड़ोसी राज्यों में शरण ले चुके हैं.
सफाईकर्मी की भी नौकरी नहीं मिली तो बनी वेश्या
मैरिजा की तरह ही मैलसिआ (परिवर्तित नाम) भी करीब एक सप्ताह पहले वेनेजुएला में अपने दो बच्चों और 64 साल के माता-पिता को छोड़कर एक बेहतर भविष्य की उम्मीद में कोलंबिया पहुंची हैं. मैलसिआ बहुत संकोच के साथ बताती हैं कि परिवार की परवरिश के लिए उन्हें वेश्यावृत्ति करनी पड़ रही है. बावजूद वह अपने परिवार के लिए केवल नाश्ते का इंतजाम ही कर पाती हैं. कभी-कभी लंच का भी इंतजाम हो जाता है. ज्यादातर रात में उनका परिवार बिना कुछ खाए सोता है.
चर्च में अपने गुनाहों की मांगती हैं माफी
ऐसी स्थिति में उनके दोनों बच्चों की स्कूल का खर्च उठाना भी मुश्किल पड़ रहा है. कोलंबिया में उन्होंने सफाई कर्मचारी से लेकर आया तक का काम तलाशा, लेकिन कोई काम न मिलने पर उन्हें देह व्यापार के दलदल में उतरना पड़ा. मैलसिआ के अनुसार वह जानती हैं कि वह जो कर रही हैं, वह पाप है और वह चर्च जाकर अपने गुनाहों के लिए जीजस से माफी भी मांगती हैं. वह जब भी ये काम छोड़ने की सोचती हैं, उनकी आंखों के सामने उनके दोनों बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता के चेहरे नाचने लगते हैं.
भारत और वेनेजुएला के नाम है सबसे ज्यादा मिस वर्ल्ड खिताब
अतंरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के सबसे ज्यादा खितान भारत और वेनेजुएला के नाम दर्ज हैं. दोनों देशों की विश्व सुंदरियों ने छह-छह बार इस खिताब पर कब्जा जमाया है. भारत ने वर्ष 1966, 1994, 1997, 1999, 2000 व 2017 और वेनेजुएला ने वर्ष 1955, 1981, 1984, 1991, 1995 व 2011 में मिस वर्ल्ड खिताब पर कब्जा जमाया था. पांच मिस वर्ल्ड खिताब के साथ यूनाइटेड किंगडन दूसरे स्थान पर और तीन मिस वर्ल्ड खिताब के साथ साउथ अफ्रीका, यूएस, आइसलैंड, जमैका व स्वीडन तीसरे स्थान पर हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अमेरिकी रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, इस्लामिक स्टेट में भारतीय मूल के कितने आतंकी
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