लक्ष्मी योग:- कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र-मंगल का योग बन रहा है तो जीवन में धन की कमी नहीं होती है. मान-सम्मान मिलता है. सामजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है.
रूचक योग:- मंगल केंद्र भाव में होकर अपने मूल त्रिकोण (पहला, पांचवा और नवा भाव), स्वग्रही (मेष या वृशिचक भाव में हो तो) अथवा उच्च राशि (मकर राशि) का हो तो रूचक योग बनता है. रूचक योग होने पर व्यक्ति बलवान, साहसी, तेजस्वी, उच्च स्तरीय वाहन रखने वाला होता है. इस योग में जन्मा व्यक्ति विशेष पद प्राप्त करता है.
भद्र योग:- बुध केंद्र में मूल त्रिकोण स्वगृही (मिथुन या कन्या राशि में हो)अथवा उच्च राशि (कन्या) का हो तो भद्र योग बनता है. इस योग से व्यक्ति उच्च व्यवसायी होता है. व्यक्ति अपने प्रबंधन, कौशल, बुद्धि-विवेक का उपयोग करते हुए धन कमाता है. यह योग सप्तम भाव में होता है तो व्यक्ति देश का जाना माना उधोगपति बन जाता है.
हंस योग:- बृहस्पति केंद्र भाव में होकर मूल त्रिकोण स्वगृही (धनु या मीन राशि में हो) अथवा उच्च राशि (कर्क राशि) का हो तब हंस योग होता है. यह योग व्यक्ति को सुन्दर, हंसमुख, मिलनसार, विनम्र और धन-सम्पति वाला बनाता है. व्यक्ति पुण्य कर्मों में रूचि रखने वाला, दयालु, शास्त्र का ज्ञान रखने वाला होता है.
मालव्य योग:- कुंडली के केंद्र भावों में स्तिथ शुक्र मूल त्रिकोण अथवा स्वगृही (वृष या तुला राशि में हो) या उच्च (मीन राशि) का हो तो मालव्य योग बनता है. इस योग से व्यक्ति सुन्दर, गुणी, तेजस्वी, धैर्यवान, धनी तथा सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है.
शश योग:- यदि कुंडली में शनि की खुद की राशि मकर या कुम्भ में हो या उच्च राशि (तुला राशि) का हो या मूल त्रिकोण में हो तो शश योग बनता है. यह योग सप्तम भाव या दशम भाव में हो तो व्यक्ति अपार धन-सम्पति का स्वामी होता है. व्यवसाय और नौकरी के क्षेत्र में ख्याति और उच्च पद को प्राप्त करता है.
गजकेसरी योग:- जिसकी कुंडली में शुभ गजकेसरी योग होता है, वह बुद्धिमान होने के साथ ही प्रतिभाशाली भी होता है. इनका व्यक्तित्व गंभीर व प्रभावशाली भी होता है. समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते है. शुभ योग के लिए आवश्यक है कि गुरु व चंद्र दोनों ही नीच के नहीं होने चाहिए. साथ ही, शनि या राहु जैसे पाप ग्रहों से प्रभावित नहीं होना चाहिए.
सिंघासन योग:- अगर सभी ग्रह दूसरे, तीसरे, छठे, आठवे और बारहवे घर में बैठ जाए तो कुंडली में सिंघासन योग बनता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति शासन अधिकारी बनता है और नाम प्राप्त करता है.
चतुःसार योग:- अगर कुंडली में ग्रह मेष, कर्क तुला उर मकर राशि में स्तिथ हो तो ये योग बनता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति इच्छित सफलता जीवन में प्राप्त करता है और किसी भी समस्या से आसानी से बाहर आ जाता है.
श्रीनाथ योग:- अगर लग्न का स्वामी, सातवे भाव का स्वामी दसवे घर में मौजूद हो और दसवे घर का स्वामी नवे घर के स्वामी के साथ मौजूद हो तो श्रीनाथ योग का निर्माण होता है. इसके प्रभाव से जातक को धन, नाम, ताश, वैभव की प्राप्ति होती है.
विशेष- कुंडली में राजयोग का अध्ययन करते वक़्त अन्य शुभ और अशुभ ग्रहो के फलों का भी अध्ययन जरुरी है. इनके कारण राजयोग का प्रभाव कम या ज्यादा हो सकता है.
कैसे राजयोग को मजबूत किया जा सकता है?
अगर कुंडली में राजयोग हो और वो कमजोर हो तो नव रत्नों की सहायता से, मंत्र जप आदि करके भी जीवन को सफल बनाया जा सकता है. साथ ही यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए की राज योग नहीं होने पर भी व्यक्ति बहुत सफल हो सकते है अगर कुंडली में ग्रह शुभ और शक्तिशाली हो.
किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आपकी जन्म कुंडली और भोजन संबंधी आदतें
जानिए राजनीति कारक ग्रहों को: कहीं ऐसे कारक ग्रह आप की कुंडली मे तो नहीं...
जन्म कुंडली में शिक्षा का योग को देखकर अपने बच्चे को सही दिशा दें
कुंडली में गुरु ग्रह को शुभ बनाना है तो पढ़ें 2 मंत्र और 6 उपाय
Leave a Reply