नई दिल्ली. भारत सरकार MSP तय करने के लिए समिति बनाएगी. समिति का गठन 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद होगा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कहा कि एमएसपी कमेटी में किसान संघों के सदस्य, वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और लाभार्थी होंगे. नवंबर 2021 में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद किसान एमएसपी की मांग पर अड़ गए थे.
पिछले 7 सालों से एमएसपी पर दोगुने दाम दिए- तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 2018-19 से पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि एमएसपी को किसानों के लिए लाभकारी बनाया जाए. स्वामीनाथन समिति की अनुशंसा में भी 14-15 अनुशंसाएं ऐसी थीं जिन्हें जीओएम ने उपयुक्त नहीं पाया. एक अनुसंशा यह भी थी कि एमएसपी पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर घोषित किया जाए, इसे नहीं माना गया था. प्रधानमंत्री ने 2018-19 में इसे स्वीकार किया और अब एमएसपी बढ़कर मिल रही है. पिछले 7 सालों से एमएसपी पर पहले से दोगुने दाम दिए गए हैं. बजट में भी 2 लाख 37 हजार करोड़ रुपए किसानों को लाभकारी मूल्य के लिए दिए जाने का प्रावधान है.
क्या है फसलों पर मिलने वाली एमएसपी
एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य. केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही एमएसपी कहा जाता है. अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को एमएसपी के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी. इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं. ये एक तरह फसल की कीमत की गारंटी होती है.
कौन तय करता है एमएसपी
फसलों की एमएसपी कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसेस (सीएसीपी) तय करता है. आयोग समय के साथ खेती की लागत और बाकी पैमानों के आधार पर फसलों की कम से कम कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-टोल नाकों पर अब 10 सेकंड से ज्यादा नहीं करना पड़ेगा इंतजार, केेंद्र सरकार का निर्णय
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