कैनबरा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मारिस पायने के साथ भारत-ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों के 12वें फ्रेमवर्क डॉयलॉग की सह-अध्यक्षता की. इस बैठक के बाद एस जयशंकर ने कहा कि हमने आतंकवाद और उग्रवाद के बारे में भी चिंताओं को साझा किया. सीमा पार आतंकवाद को लेकर हम गंभीर हैं. साथ ही उन्होंने चीन से सीमा विवाद को लेकर भी बड़ा बयान दिया.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक श्राइन ऑफ रिमेंबरेंस का भी दौरा किया और शहीद सैनिकों की स्मृति को सम्मानित किया. मीडिया से बातचीत में जयशंकर ने कहा, कोविड के इस बहुत कठिन दौर में भी दोनों देशों के बीच लगातार बहुत सी चर्चाएं हमारे संबंधों में आए बड़े परिवर्तन को दर्शाती हैं. मैं ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा सीमाओं को खोलने के फैसले का स्वागत करता हूं, जिससे उन लोगों की मदद मिलेगी, जो भारत में वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, विशेष रूप से छात्रों और अस्थायी वीजा धारकों को. इस कदम की सराहना की जानी चाहिए.
जयशंकर ने आगे कहा, हम इंडो-पैसिफिक में व्यापक समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए अधिक विश्वसनीय और लचीला आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने आतंकवाद और उग्रवाद के बारे में भी चिंताओं को साझा किया. सीमा पार आतंकवाद को लेकर हम गंभीर हैं. बहुपक्षीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने और आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ावा देने का हमारा साझा प्रयास है.
जयशंकर ने बताया कि चीन द्वारा 2020 में सीमा पर भारी सुरक्षा बलों की तैनाती न करने के लिखित समझौतों की अवहेलना के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई. जब एक बड़ा देश लिखित प्रतिबद्धताओं की अवहेलना करता है, तो यह पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है. हमने(क्वाड) में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की क्योंकि यह इस बात का हिस्सा था कि हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है. इस बारे में हमने एक दूसरे को जानकारी दी. यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें बहुत से देश वैध रूप से रुचि लेते हैं, खासकर यदि वे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से हैं.
वहीं ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने ने कहा, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच व्यापार और निवेश में गहरे संबंध हैं. डेन तेहान व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के लिए एक दौर की बातचीत के बाद भारत से लौट रहे हैं. हम दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक समर्थन और रचनात्मक उद्योगों की बढ़ावा देने के लिए मैत्री सांस्कृतिक साझेदारी के तहत 4 वर्षों में 6 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च करेंगे. साथ ही मैत्री स्कॉलर प्रोग्राम के तहत ऑस्ट्रेलिया सरकार ऑस्ट्रेलिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए भारतीय छात्रों की मदद के लिए 4 सालों में 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि देगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-क्वॉड फॉरेन मिनिस्टर्स की बैठक: चीन को लेकर चिंता, वैक्सीन पर जोर
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