नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को मंजूरी दे दी. इसके तहत, पांच साल के लिए 1,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इसका मतलब है कि पूरे देश के लिए सालाना 320 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पिछले साल सितंबर में यह योजना देश के कुछ हिस्सों में शुरू की गई थी. इस योजना के तहत, देश के सभी नागरिकों को हेल्थ आईडी बनवाने की सुविधा दी जाएगी और इसके ज़रिए आपकी स्वास्थ्य संबंधी पूरी जानकारी डिजिटल हो जाएगी. इससे पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड को मोबाइल एप्लिकेशन की मदद से जोड़ा और देखा जा सकता है. यह डेटाबेस डॉक्टरों/अस्पतालों और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए बिजनेस को आसान बनाएगा.
इस मिशन का एक मकसद लो-इनकम वाली आबादी तक गैर-सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना है. ABDM से देश के दूर-दराज वाले इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से पहुंच सकेंगी. यह योजना जन धन, आधार और मोबाइल और सरकार की अन्य डिजिटल पहलों पर बेस्ड होगी. इसकी घोषणा सबसे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में की थी. एक सरकारी बयान के मुताबिक, हेल्थकेयर इकोसिस्टम में डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशंस पिछले कुछ सालों में अत्यधिक फायदेमंद साबित हुए हैं. CoWIN, आरोग्य सेतु और ई-संजीवनी ने दिखाया है कि लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभा सकती है. हालांकि, संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए ऐसे सॉल्यूशंस को इंटीग्रेट करने की जरूरत है.
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को की थी. इस योजना के तहत, अकाउंट क्रिएट करने पर नागरिकों को एक हेल्थ कार्ड जारी किया जाता है. इस हेल्थ कार्ड में नागरिकों का स्वास्थ्य से जुड़ा पूरा डेटा दर्ज होता है. इसका मतलब है कि इस कार्ड से आपको अस्पतालों में अपना इलाज करवाने में आसानी होगी और आपके स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां कार्ड में होगी. ABDM के पायलट प्रोजेक्ट को पहले छह केंद्र शासित प्रदेशों में लॉन्च किया गया था, जिसमें लद्दाख, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप शामिल हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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