एक राज्य और पांच ज्योतिर्लिंग, अद्भुत है घृष्णेश्वर की महिमा

एक राज्य और पांच ज्योतिर्लिंग, अद्भुत है घृष्णेश्वर की महिमा

प्रेषित समय :16:57:41 PM / Mon, Feb 28th, 2022

संगीता  पांडेय. यह कितनी विचित्र बात है कि देवों के देव महादेव भोले भंडारी शिव- शंकर ऐसे देव हैं जो मानव और दानव दोनों के इष्ट हैं. धरती पर सबसे प्राचीनतम देव यदि कोई हैं, जिन्हें पूजा गया वो भगवान शिव ही हैं और इस विचित्रता में एक यह भी बात है कि शिव किसी एक जाति, धर्म के नहीं बल्कि पूरी प्राणी जाति के देव हैं. यूं तो अनेक कथाएं, महात्म्य हैं जो शिव के संदर्भ को स्पष्ट करते हैं, उनमें से एक है 'महाशिवरात्रि'. शिव से जुड़े इस दिन को भारत में पर्व की तरह मनाया जाता है. यह एक उत्सव है जिसमें न केवल व्रत, पूजा, पाठ, हवन, यज्ञ आदि होते हैं बल्कि तांत्रिक साधनाओं के लिए भी इस रात्रि का बड़ा महत्व है. बहरहाल, आमतौर पर इस दिन भक्तजन मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करते हैं, शिवलिंग पर जल,बेलपत्र चढ़ाते हैं, इसके साथ ही वे लोग उपवास भी रखते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव का विवाह हुआ था. पुराणों के अनुसार शिव की आराधना से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिव पुराण में बारह ज्योतिर्लिंग की महिमा बताई गई है. ये बारह ज्योतिर्लिंग भारतवर्ष में विभिन्न स्थानों पर भक्तों को दर्शन देने के लिए प्रकट हुए हैं. इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम व स्थान का उल्लेख एक श्लोक में हमें मिलता है.

" सौराष्ट्रे सोमनाथंच श्री शैल्यै मल्लिकार्जुनम्  उज्ययिन्यामहाकालमोंकारममलेश्वरम्. .१.. परल्यां वैजनाथ च डाकीन्यां भिमशंकरम.

सेतूबंधे तू रामेशं नागेशं दारुकावने. .२

 वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे.

हिमालये तु केदारं घृसृणेशं शिवालये. .३..

अर्थात

सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन,

उज्जैन में महाकाल, ओमकारेश्वर में ममलेश्वर (अमलेश्वर)

परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक क्षेत्र में भीमाशंकर, सेतुबंध पर रामेश्वर दारूकावन में श्री नागेश्वर,  वाराणसी में काशी विश्वनाथ, गोदावरी तट पर (गौतमी) त्रंबकेश्वर, हिमालय में केदारनाथ शिवालय में घृष्णेश्वर का स्मरण करें.

 केवल महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य है जहां एक दो नहीं पूरे पांच ज्योतिर्लिंगो के दर्शन भक्तों को प्राप्त होता है और हो भी क्यों न महाराष्ट्र नाम ऐसे ही थोड़े न पड़ा होगा.

महा का अर्थ ही बड़ा होता है.महाराष्ट्र में व्याप्त पांच ज्योतिर्लिंग हैं- 

1) परली वैजनाथ,जि.बीड

2) औंढा नागनाथ,जि.परभणी

3) घृष्णेश्वर,जि.औरंगाबाद

4) भीमाशंकर,जि.पुणे

5) त्र्यंबकेश्वर,जि.नाशिक

वैसे तो हर ज्योतिर्लिंग का अपना महत्व है परंतु औरंगाबाद में एलोरा क्षेत्र में स्थित घृष्णेश्वर की बात ही निराली है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग जो कि बारहवां ज्योतिर्लिंग है, के अलावा भी बहुत सी चीजें यहां हमें देखने को मिल जाती हैं.

 घृष्णेश्वर मंदिर की अगर हम बात करें तो इसके लिए एक कथा प्रचलित है. कथा इस प्रकार है,,,,, शिवालय गांव में एक ब्राह्मण दंपति सुधर्मा- सुदेहा रहते थे. उनकी कोई संतान न थी. सुदेहा ने अपनी बहन घृष्णा से अपने पति का विवाह कराया. घृष्णा शिव भक्ति थी. शिव कृपा से घृष्णा पुत्रवती हो गई. पुत्र होने पर सुदेहा बहुत खुश हुई,लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं चली. सुदेहा को ऐसा महसूस होने लगा कि घृष्णा को ज्यादा मान सम्मान मिलता है. उससे यह बर्दाश्त नहीं हुआ. सुदेहा के मन में अपनी बहन घृष्णा के प्रति ईर्ष्या उत्पन्न होने लगी और वह दुःखी रहने लगी. दिन बीतते गए. पुत्र जब विवाह योग्य हुआ तो उसका विवाह करा दिया गया. सुदेहा की ईर्ष्या चरम पर जा पहुंची. सुदेहा ने एक रात पुत्र को मार दिया और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके जहां रोज घृष्णा पार्थिव लिंग विसर्जित करती थी, उसी सरोवर में फेंक दिया. घृष्णा को इस बात की खबर ही नहीं थी.वह रोज की तरह जब पार्थिव लिंग विसर्जित कर रही थी तो उसे अपने पुत्र की आवाज सुनाई दी. वह चौंक गई. तभी भगवान शंकर ने प्रकट होकर सुदेहा की पोल खोली और क्रोध में सुदेहा का त्रिशूल से वध करने जा रहे थे.घृष्णा ने शंकर जी के पैर पकड़ लिए और कहा,'हे प्रभु मेरी बड़ी बहन के अपराध को क्षमा करें.' शिव घृष्णा के निश्छल त्याग भाव से प्रसन्न हुए और घृष्णा को वरदान मांगने के लिए कहा.घृष्णा ने भक्तों के कल्याण हेतु उन्हें यहीं वास करने को कहा. शिव ने घृष्णा को वरदान देते हुए कहा " जब तक सूरज,चांद हैं तब तक भक्तों के कल्याण के लिए घृष्णा के नाम से यहां मैं निवास करूंगा." तब से साक्षात् शिव शंकर जी घृष्णेश्वर नाम से यहां निवास करते हैं. ऐसी लोक मान्यता है. 

अगर इस मंदिर के निर्माण की  बात की जाए तो इसका निर्माण 17वीं सदी में काले पत्थरों में एलोरा के पाटिल छत्रपति शिवाजी महाराज के दादाजी जो एलोरा के पटेल थे, उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था. इसका उल्लेख शिलालेख द्वारा हमें भंडार गृह के बगल में दिखाई देता है. यह आज जो मंदिर है, वह इंदौर की महारानी  अहिल्यादेवी होलकर ने ईस्वी सन् 1791 में पुनः निर्माण कराया था. इस मंदिर का निर्माण बहुत ही सुंदर कारीगरी से किया गया है. लाल पत्थरों द्वारा इंटर- लॉक सिस्टम से बना है जिसे हेमांड पंथ के नाम से जाना जाता है. एलोरा गुफाओं के नजदीक लाल खदान से इन लाल पत्थरों को काट कर और सुंदर कलाकृतियां बनाकर इन्हें एक इंटरलॉक सिस्टम से जोड़ा गया है. मंदिर का आधा भाग चूना,रेती और सत्रह प्रकार की जड़ी- बूटियों (जैसे बेलफल, गोंद, कालीदाल को एकरूप कर के बनाया गया है और उस पर दशावतार ब्रह्मा, राम लक्ष्मण, सीता और कई देवताओं की मूर्तियां बनी हैं.

इस मंदिर के पास में ही यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित एलोरा की 34 गुफाएं हैं,जो कि बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म को एक साथ समेटे हुए हैं स्थित हैं. इन गुफाओं में 16 वीं गुफा 'कैलाश मंदिर' है. जो देखने में बहुत भव्य और आकर्षक है. वैसे तो यहां न पूजा होती है न कोई पंडित मंदिर में दिखेगा. फिर भी आप एक आकर्षण महसूस करेंगे. एलोरा की गुफाओं से कुछ दूरी पर ही 'लक्ष्य विनायक' गणेश जी का मंदिर है जो कि भारत वर्ष में प्रसिद्ध 17 वां गणेश पीठ है. 

यह मंदिर उत्तराभिमुख है. यहां  गणेश जी की मूर्ति बैठे स्वरूप में उत्तराभिमुख है. तारकासुर का वध करने से पहले स्कंध कार्तिकेय जी ने लक्ष्य विनायक जी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की   थी,तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है. 

यहां की कुछ दूरी पर भारतवर्ष के चार प्रमुख सरोवरों (कैलाश मानसरोवर-हिमालय, ब्रह्मा सरोवर-पुष्कर राजस्थान नारायण सरोवर-भुज कच्छ शिव सरोवर- एलोरा) में से एक शिव सरोवर भी है जिसके लिए ऐसी मान्यता है कि शिव शंकर ने अपने त्रिशूल से इसे उत्पन्न किया था.आज भी यहां अष्ट तीर्थ दिखाई देता है.इसका क्षेत्र एक एकड़ से भी ज्यादा में है. चारों तरफ से उतरने के लिए सीढ़ियां हैं. ऊपर से नीचे सरोवर तक पहुंचने के लिए लगभग 56 सीढ़ियां उतरना पड़ता है. यहां से चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर हनुमान जी की लेटी हुई अवस्था में मंदिर है जो कि 'भद्र मारुति' मंदिर के नाम से जाना जाता है. पूरे भारत में मात्र तीन जगहों पर राम भक्त हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में मूर्तियां है.

1) भद्र मारुति - औरंगाबाद महाराष्ट्र

2) कोतवली मंदिर- प्रयाग इलाहाबाद 

3) खोले के हनुमान जी राजस्थान. 

ऐसी लोक मान्यता है कि लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए संजीवनी लाते समय हनुमान जी ने इस स्थान पर विश्राम किया था.

 इस प्रकार हम देखते हैं तो पाते हैं कि एलोरा ना सिर्फ एक विश्व धरोहर है बल्कि यहां पर बहुत से तीर्थस्थल भी है. यहां जाने के उपरांत ही शिवभक्तों की बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पूर्ण होती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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