पेरिस. पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को एक बार फिर अपनी निगरानी सूची यानी ग्रे लिस्ट में ही रखा है. पाकिस्तान से कहा गया है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग की जांचों और मुकदमों पर अभी और काम करे.
एफएटीएफ की चार दिन चली बैठक के बाद यह फैसला किया गया. पाकिस्तान जून 2018 से ही टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एक्शन में कोताही बरतने के कारण स्न्रञ्जस्न की ग्रे लिस्ट में है.
पाकिस्तान के अनुसार, उनका देश 2023 तक एफएटीएफ के सभी शर्तों को पूरा कर देगा. एफएटीएफ ने अक्टूबर 2021 में पाकिस्तान को 34 में से चार शर्तें पूरी न कर पाने के कारण जनवरी 2022 तक के लिए ग्रे लिस्ट में रखा था. तब स्न्रञ्जस्न ने कहा था कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी समूहों के शीर्ष नेताओं के खिलाफ टेरर फाइनेंसिंग की जांच और सजा दिलवाने में लापरवाही बरती है.
इस लिस्ट में होने का असर
इस लिस्ट में होने से पाकिस्तान के आयात-निर्यात, कहीं भेजे गए रुपए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उधारी लेने पर विपरीत असर हुआ है.
चार बार कोशिश, पर नाकाम रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था. अक्टूबर 2018, 2019, 2020, अप्रैल 2021 और अक्टूबर 2021 में हुई समीक्षा में भी पाकिस्तान को राहत नहीं मिल सकी, क्योंकि यह स्न्रञ्जस्न की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है. इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है.
यूएई का नाम भी किया शामिल
इसके अलावा वैश्विक वित्तीय वाचडॉग ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को भी अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महिला क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत पर गूगल ने बनाया शानदार डूडल
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