मुंबई. 12 मार्च को मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के केवल 31 नए मामले दर्ज किए गए. अप्रैल 2020 में जब देश में कोरोना महामारी शुरू हुई थी, उसके बाद मुंबई में पिछले 700 दिनों में सामने आई ये कोविड-19 संक्रमण की सबसे कम संख्या है. मुंबई में लगातार छठे दिन कोरोना संक्रमण से कोई नई मौत नहीं हुई. इसके साथ ही राज्य में कोविड-19 संक्रमण के दैनिक मामलों की संख्या भी दूसरे दिन 400 से नीचे रही. जबकि कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या दो रही. महाराष्ट्र में कोविड-19 का प्रकोप इस समय भले ही घट रहा है.
लेकिन पिछले दो साल में दोगुने हो चुके मामलों के साथ मलेरिया की वापसी का खतरा बढ़ रहा है. पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने कहा कि मुंबई जैसे शहरी इलाकों में मलेरिया एक स्थानीय समस्या है. कोरोना के मामलों में लगातार कमी स्वास्थ्य विभाग के लोगों के लिए भले ही राहत की सांस लेने का एक कारण हो सकती है, लेकिन राज्य में मलेरिया की बीमारी का बढ़ना चिंता का विषय है. महाराष्ट्र में पिछले दो साल में कोविड-19 महामारी के समय मलेरिया के मामले दोगुने हो गए हैं.
पिछले सप्ताह राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण से ये जानकारी सामने आई है. विज्ञापन राज्य निगरानी अधिकारी ने कहा कि मलेरिया के मामलों का बढ़ना स्थानीय कारणों जैसे वर्षा, जनसंख्या घनत्व के साथ ही दूसरे कई कारणों से हो सकता है. फिलहाल महाराष्ट्र में मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. जबकि बीएमसी के अधिकारियों का कहना है कि 2010 में मलेरिया के पिछले प्रकोप के बाद से मुंबई में मलेरिया के मामलों में काफी गिरावट आई है.
बीएमसी ने बड़ी जमीनों के मालिकों के साथ मलेरिया-रोधी उपायों को करने के लिए समन्वय कायम करना, कीटनाशकों का उपयोग और बारिश के पानी को जमा नहीं होने देने जैसे कई कामों पर जोर दिया है. अधिकारियों ने लगातार इन उपायों को लागू करने की जांच-पड़ताल की और इन सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों ने मुंबई में मलेरिया के मामलों को घटाने में मदद की.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महाराष्ट्र में कम हुआ कोरोना का प्रकोप लेकिन बढ़ा मलेरिया की वापसी का खतरा
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